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ब्रह्मानंदम परम सुखदम (Brahamanandam, Paramsukhdam)

ब्रह्मानंदम परम सुखदम,

केवलम् ज्ञानमूर्तीम्,

द्वंद्वातीतम् गगन सदृशं,

तत्वमस्यादि लक्षम ।


एकं नित्यं विमल मचलं,

सर्वाधी साक्षीभुतम,

भावातीतं त्रिगुण रहितम्,

सदगुरु तं नमामी ॥


धूम मची हर नभ में फूटे,

रस की फुहारे ।

अनहद के आँगन में नाचे,

चँदा सितारे ॥


अबीर गुलाल के बादल गरजे,

फागुन सेज सजाए ।

दूर अधर बिजली यूँ कौंधे,

रंग दियो छिड़काए ॥


रास रंग मदिरा से बरसे,

प्रेम अगन सुलगाए ।

चहक उठे सब डाल पात सब,

एक ही रंग समाए ॥

तेरे मन में राम, तन में राम (Tere Mann Mein Ram Tan Mein Ram)

तेरे मन में राम,
तन में राम ॥

कब तुम कृपा करोगी श्री राधा रानी (Kab Tum Kripa Karogi Shri Radha Rani)

कब तुम कृपा करोगी श्री राधा रानी,
कब तुम कृपा करोगी मेरी लाड़ो प्यारी,

संसार के लोगों से आशा ना किया करना(Sansar Ke Logon Se Asha Na Kiya Karna)

संसार के लोगों से आशा ना किया करना,
जब कोई ना हो अपना,

फाल्गुन अमावस्या के उपाय

फाल्गुन अमावस्या का दिन अत्यंत शुभ माना जाता है। खासकर पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए इस अमावस्या से बेहतर दिन ही नहीं है। इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध कर्म किए जाते हैं।

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