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ब्रह्मानंदम परम सुखदम (Brahamanandam, Paramsukhdam)

ब्रह्मानंदम परम सुखदम,

केवलम् ज्ञानमूर्तीम्,

द्वंद्वातीतम् गगन सदृशं,

तत्वमस्यादि लक्षम ।


एकं नित्यं विमल मचलं,

सर्वाधी साक्षीभुतम,

भावातीतं त्रिगुण रहितम्,

सदगुरु तं नमामी ॥


धूम मची हर नभ में फूटे,

रस की फुहारे ।

अनहद के आँगन में नाचे,

चँदा सितारे ॥


अबीर गुलाल के बादल गरजे,

फागुन सेज सजाए ।

दूर अधर बिजली यूँ कौंधे,

रंग दियो छिड़काए ॥


रास रंग मदिरा से बरसे,

प्रेम अगन सुलगाए ।

चहक उठे सब डाल पात सब,

एक ही रंग समाए ॥

गजानन करदो बेड़ा पार(Gajanan Kardo Beda Paar)

गजानन करदो बेड़ा पार,
आज हम तुम्हे मनाते हैं,

अम्बे अम्बे भवानी माँ जगदम्बे: भजन (Ambe Ambe Bhavani Maa Jagdambe)

अम्बे अम्बे माँ अम्बे अम्बे,
अम्बे अम्बे भवानी माँ जगदम्बे ॥

ऐसा है सेवक श्री राम का (Aisa Hai Sewak Shree Ram Ka)

सेवा में गुजरे,
वक्त हनुमान का,

अनंग त्रयोदशी व्रत कथा

चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को अनंग त्रयोदशी कहा जाता है। अनंग त्रयोदशी व्रत प्रेम और सौंदर्य का प्रतीक माना जाता है।

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