नवीनतम लेख

कब है सफला एकादशी

जानें कब पड़ेगी सफला एकादशी, इस मूहुर्त पर पूजा का शुभ योग 


साल 2024 में दिसंबर महीने में पड़ने वाली दूसरी एकादशी को सफला एकादशी कहा जाता है। सफला एकादशी पौष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन पूरे विधि-विधान से भगवान विष्णु जी की उपासना की जाती है। भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए यह दिन बहुत ही खास और महत्वपूर्ण माना गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सफला एकादशी का व्रत रखने से जीवन के सभी कष्टों का निवारण होता है। तो आइए इस आलेख में विस्तार से जानते हैं सफला एकादशी की सही तिथि और शुभ मुहूर्त। 

जानिए कब है सफला एकादशी?


इस साल सफला एकादशी दिसम्बर 26, 2024 को मनाई जाएगी। हिंदू पंचांग के अनुसार 25 दिसम्बर के दिन रात्रि 10 बजकर 29 मिनट से एकादशी तिथि की शुरुआत होगी जो 27 दिसम्बर के दिन में 12 बजकर 43 मिनट तक रहेगी।

शुभ मुहूर्त 


  1. एकादशी तिथि प्रारम्भ:- दिसम्बर 25, 2024 को रात्रि 10 बजकर 29 मिनट से। 
  2. एकादशी तिथि समाप्त:- दिसम्बर 27, 2024 को दिन 12 बजकर 43 मिनट पर। 
  3. पारण यानी व्रत समाप्त करने का समय:- 27 दिसंबर को सुबह 07 बजकर 12 मिनट से सुबह 09 बजकर 16 मिनट तक।
  4. पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय:- दिसम्बर 28 को रात्रि 02 बजकर 26 मिनट। 
 

जान लीजिए पूजा-विधि


  • स्नान आदि कर मंदिर की साफ सफाई करें।
  • भगवान श्री हरि विष्णु का जलाभिषेक करें।
  • प्रभु का पंचामृत सहित गंगाजल से अभिषेक करें।
  • अब प्रभु को पीला चंदन और पीले पुष्प अर्पित करें।
  • मंदिर में घी का दीपक प्रज्वलित करें।
  • संभव हो तो व्रत रखें और व्रत लेने का संकल्प करें।
  • सफला एकादशी की व्रत कथा का पाठ करें।
  • ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें।
  • पूरी श्रद्धा के साथ भगवान श्री हरि विष्णु और लक्ष्मी जी की आरती करें।
  • प्रभु को तुलसी सहित भोग लगाएं।
  • अंत में क्षमा याचना के लिए श्री हरि से प्रार्थना करें। 

सफला एकादशी व्रत का महत्व


धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से मनचाही इच्छाओं की पूर्ति होती है। साथ ही इस दिन जो भी काम शुरू किया जाए वह अवश्य सफल होता है। सफला एकादशी का व्रत करने से साधक के जीवन में आने वाली सभी बाधाएं भी खत्म हो जाती हैं।

जगन्नाथ रथ यात्रा क्यों मानते हैं

सनातन धर्म में हिंदू वैदिक पंचांग के अनुसार, हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भगवान जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा निकाली जाती है। इस यात्रा को रथ महोत्सव और गुंडिचा यात्रा के नाम से भी जाना जाता है।

इस व्रत से बढ़ता है पति-पत्नी का प्रेम

अनंग त्रयोदशी व्रत में भगवान शिव-पार्वती तथा कामदेव और रति का पूजन किया जाता है। यह दिन प्रेमी जोड़ों के लिए बहुत खास माना गया है। क्योंकि, इस दिन व्रत रखने से जीवन में प्रेम की प्रगाढ़ता बढ़ती है।

आओ अंगना पधारो श्री गणेश जी (Aao Angana Padharo Shri Ganesh Ji)

आओ अंगना पधारो श्री गणेश जी ॥

मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई(Mere to Giridhar Gopal Dusro Na Koi)

मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई
मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई