नवीनतम लेख

स्कन्द षष्ठी व्रत नियम

स्कन्द षष्ठी के दिन क्या करें क्या नहीं, जाने व्रत पूरा करने की सही विधि 


हर माह की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कंद षष्ठी का पर्व मनाया जाता है। धार्मिक ग्रंथों में षष्ठी तिथि को महत्वपूर्ण माना गया है, क्योंकि यह तिथि शिव-पार्वती जी के ज्येष्ठ पुत्र भगवान कार्तिकेय को समर्पित है। स्कंद षष्ठी व्रत को कुमार षष्ठी और संतान षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है। स्कंद षष्ठी के अवसर पर मंदिरों में शिव-पार्वती की विशेष रूप से पूजा अर्चना की जाती है। साथ ही इस दिन स्कंद देव कार्तिकेय की स्थापना करके उनकी भी पूजा की जाती है और अखंड दीपक जलाएं जाते हैं। 

पंचांग के अनुसार, पौष माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि 04 जनवरी को देर रात 10 बजे से शुरू होगी और अगले दिन यानी 05 जनवरी को रात 08 बजकर 15 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, 05 जनवरी, 2025 को स्कंद षष्ठी मनाई जाएगी। यह नए साल में पड़ने वाली पहली स्कन्द षष्ठी होगी। आइए जानते हैं भगवान कार्तिकेय की पूजा विधि और व्रत से जुड़े अहम नियमों के बारे में।


स्कंद षष्ठी व्रत के दिन भूलकर भी न करें ये गलतियां


  • स्कंद षष्ठी व्रत की पूजा सूर्योदय के समय ही करनी चाहिए। वहीं व्रत का पारण अगले दिन भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद ही होता है।
  • अगर आपने स्कंद षष्ठी का व्रत रखा है, तो दो दिन तक घर में तामसिक भोजन, जैसे मांस, मदिरा, लहसुन, प्याज आदि का सेवन न करें। 
  • स्कंद षष्ठी व्रत में केवल फलाहार किया जाता है। इसके अलावा कुछ भी खाने से व्रत को पूरा नहीं माना जाता है।

कान्हा तेरी मुरली की, जो धुन बज जाए (Kanha Teri Murli Ki Jo Dhun Baj Jaaye)

कान्हा तेरी मुरली की,
जो धुन बज जाए,

Mere Ladle Ganesh Pyare Pyare (मेरे लाडले गणेश प्यारे प्यारे)

मेरे लाडले गणेश प्यारे प्यारे
भोले बाबा जी की आँखों के तारे

हम हो गए शंकर बाबा के (Hum Hogaye Shankar Baba Ke)

हम हाथ उठा कर कहते है,
हम हो गए शंकर बाबा के,

मुझे दास बनाकर रख लेना (Mujhe Das Banakar Rakh Lena)

मुझे दास बनाकर रख लेना,
भगवान तू अपने चरणों में,