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बिन पानी के नाव खे रही है, माँ नसीब से ज्यादा दे रही है ॥
आत्मा ने परमात्मा को लिया देख ध्यान की दृष्टि से ।
तुम उठो सिया सिंगार करो, शिव धनुष राम ने तोड़ा है,
ना मैं जाऊं मथुरा काशी, मेरी इच्छा ना ज़रा सा,