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ही आशा लेकर आती हूँ ( Yahi Aasha Lekar Aati Hu)

यही आशा लेकर आती हूँ,

हर बार तुम्हारे मंदिर में,

कभी नेह की होगी मुझपर भी,

बौछार तुम्हारे मंदिर में,

बौछार तुम्हारे मंदिर में ।


हे राधेश्वर गोपीवल्लभ तुम,

त्रिभुवन के आकर्षण हो,

पट तो हर दिन खुलते लेकिन,

जब भाग्य खुले तब दर्शन हो ।


होता है तुम्हारा नित नूतन,

शृंगार तुम्हारे मंदिर में,

कभी नेह की होगी मुझ पर भी,

बौछार तुम्हारे मंदिर में,

बौछार तुम्हारे मंदिर में ।


हे मुरलीधर कृष्ण-कन्हाई,

राधा रास बिहारी,

दर्शन भिक्षा मांग रहे है,

नैना दर्श भिखारी


राधा भी नहीं, मीरा भी नहीं,

मैं ललिता हूँ न विशाखा हूँ,

हे बृजराज तुम्हारे बृजत्रु की,

मैं कोमल सी इक शाखा हूँ,

इतना ही मिला आने का,

अधिकार तुम्हारे मंदिर में,

कभी नेह की होगी मुझ पर भी,

बौछार तुम्हारे मंदिर में,

बौछार तुम्हारे मंदिर में ।


राधा प्रियम, सरस सुन्दर, प्रेम धामम,

गोपी प्रियम, मदन जीत, नैनाभी रामम ।


योगी प्रियम, तव नवोदित, बाल चन्द्रम,

सर्वा प्रियम, सकल मंगल, मूल शामम ।

हनुमान जयंती दो बार क्यों मनाई जाती है?

हनुमान जी भगवान श्रीराम के परम भक्त हैं। इसलिए, श्रीराम की पूजा में भी हनुमान जी का विशेष महत्व है। हनुमान जी को संकटमोचन भी कहा जाता है, क्योंकि वे अपने भक्तों के सभी दुःख और कष्ट हर लेते हैं।

क्यों मनाई जाती है गीता जयंती?

सनातन धर्म में एकादशी व्रत को अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। मार्गशीर्ष माह में मोक्षदा एकादशी मनाई जाती है। इसी दिन गीता जयंती का पर्व भी मनाया जाता है।

रिद्धि सिद्धि वाले गणपति बाबा, तेरी महिमा भारी है(Riddhi Siddhi Wale Ganpati Baba Teri Mahima Bhari Hai)

रिद्धि सिद्धि वाले गणपति बाबा,
तेरी महिमा भारी है,

प्यारे हनुमान एक काम कर दे (Pyare Hanuman Ek Kaam Kar De)

राम के दुलारे एक काम कर दे,
प्यारे हनुमान एक काम कर दे,

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