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तमिल हनुमान जयंती कथा

पवन देव के आशीर्वाद से जुड़ी तमिल हनुमान जंयती की कथा, जानिए इसका महत्व


तमिलनाडु में हनुमान जयंती मार्गशीर्ष अमावस्या के दौरान मनाई जाती है। यह दिन हनुमान जी को समर्पित है। हिंदू पौराणिक कथाओं में, हनुमान जी शक्ति, भक्ति और निस्वार्थ सेवा के प्रतीक हैं। अधिकतर, मार्गशीर्ष अमावस्या मूल नक्षत्र के साथ मेल खाती है। द्रिक पंचांग के अनुसार, माना जाता है कि भगवान हनुमान का जन्म मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन हुआ था, जब मूल नक्षत्र प्रबल था। जिन वर्षों में मूल नक्षत्र अमावस्या के साथ मेल नहीं खाता तो जयंती निर्धारित करने के लिए अमावस्या के दिन को प्राथमिकता दी जाती है। इस बार यह सोमवार, 30 दिसंबर 2024 को मनाई जाएगी। 

हनुमान जी के जन्म की कहानी

 
सूर्य के वर से सुवर्ण के बने हुए सुमेरु में केसरी का राज्य था। उसकी अति सुंदरी अंजना नामक स्त्री थी। एक बार अंजना ने शुचिस्नान करके सुंदर वस्त्राभूषण धारण किए। उस समय पवन देव ने उसके कर्णरन्ध्र में प्रवेश कर आते समय आश्वासन दिया कि तेरे यहां सूर्य, अग्नि एवं सुवर्ण के समान तेजस्वी, वेद-वेदांगों का ज्ञाता, महाबली पुत्र होगा और ऐसा ही हुआ।

कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी की महानिशा में अंजना के उदर से हनुमानजी उत्पन्न हए। दो प्रहर बाद सूर्योदय होते ही उन्हें भूख लगी। माता फल लाने गई। इधर लाल वर्ण के सूर्य को फल मान कर हनुमान जी उसको लेने के लिए आकाश में उछल गए। उस दिन अमावस्या होने से सूर्य को ग्रसने के लिए राहु आया था, किंतु हनुमान जी को दूसरा राहु मान कर वह भाग गया। 
 
तब इंद्र ने हनुमान जी पर वज्र-प्रहार किया। उससे इनकी ठोड़ी टेढ़ी हो गई, जिससे ये हनुमान कहलाए। इंद्र की इस दृष्टता का दंड देने के लिए पवन देव ने सभी प्राणियों का वायु संचार रोक डाला। तब ब्रह्मादि सभी देवों ने हनुमान जी को विभिन्न प्रकार के वरदान दिए। 

ब्रह्मा जी ने अमितायु का, इंद्र ने वज्र से हत ना होने का, सूर्य ने अपने तेज से युक्त और संपूर्ण शास्त्रों के विशेषज्ञ होने का, वरुण ने पाश और जल से अभय रहने का, यम ने यमदंड से अवध्य और पाश से नाश न होने का, कुबेर ने शत्रुमर्दिनी गदा से निःशंख रहने का। और शंकर ने प्रमत्त और अजेय योद्धाओं से जय प्राप्त करने का आशीर्वाद दिया। साथ ही विश्वकर्मा ने मय के बनाए हुए सभी प्रकार के दुर्बोध्य और असह्य, अस्त्र, शस्त्र तथा यंत्रादि से कोई भी क्षति ना होने का वरदान दिया।

इस प्रकार वरदान के प्रभाव से आगे जाकर हनुमान जी ने जो अद्वितीय पराक्रम के जो कार्य किए। वे सब हनुमान जी के भक्तों में प्रसिद्ध हैं और जो अश्रुत या अज्ञात हैं, वे अनेक प्रकार की रामायणों, पद्म, स्कंद और वायु पुराण से ज्ञात हो सकते हैं।
 

हनुमान जयंती में पूजन के लाभ


  1. पवनसुत, मंगलमूर्ति, संकटमोचन आदि कहे जाने वाले श्री हनुमान के नाम के स्मरण मात्र से ही भक्तों के समस्त दुखों का नाश हो जाता हैं।
  2. हनुमान जयंती के अवसर पर जो जातक सच्चे मन से बजरंगबली का सुमिरन करते हैं। उन्हें, गृह क्लेश से मुक्ति मिलती है। साथ ही उनके घर में भी सुख शांति बनी रहती है।
  3. इस दिन हनुमान जी की उपासना करने से अतुलनीय बल की प्राप्ति होती है। वहीं, पवन की गति से चलने वाले पवन पुत्र अपने भक्तों की बुद्धि भी अत्यंत तीव्र करते हैं।
  4. हनुमान जयंती के अवसर पर हनुमान चालीसा का पाठ करने मात्र से ही व्यक्ति के समस्त संकट टल जाते है। साथ ही असाध्य रोगों से भी मुक्ति मिलती है।

विवाह पंचमी कब है

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