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जिस काँधे कावड़ लाऊँ, मैं आपके लिए(Jis Kandhe Kawad Laun Main Aapke Liye)

जिस काँधे कावड़ लाऊँ,

मैं आपके लिए,

वो काँधा काम आ जाए,

माँ और बाप के लिए,

वो काँधा काम आ जाए,

माँ और बाप के लिए ॥


जब काँधे पे मैं कावड़ उठाऊँ,

उससे मैं जितना पुण्य कमाऊँ,

उसको रखू मैं बचाके आशीर्वाद के लिए,

वो काँधा काम आ जाए,

माँ और बाप के लिए,

वो काँधा काम आ जाए,

माँ और बाप के लिए ॥


इन काँधों में ऐसी तू शक्ति भरदे,

आखरी समय में उनकी सेवा करदे,

काम मुश्किल ये नहीं है भोलेनाथ के लिए,

वो काँधा काम आ जाए,

माँ और बाप के लिए,

वो काँधा काम आ जाए,

माँ और बाप के लिए ॥


कावड़ हो या अर्थी भोले आए तेरे पास हो,

‘बनवारी’ तेरे ऊपर इतना तो विश्वास हो,

तेरा कावड़िया ना तरसे सर पे हाथ के लिए,

वो काँधा काम आ जाए,

माँ और बाप के लिए,

वो काँधा काम आ जाए,

माँ और बाप के लिए ॥


जिस काँधे कावड़ लाऊँ,

मैं आपके लिए,

वो काँधा काम आ जाए,

माँ और बाप के लिए,

वो काँधा काम आ जाए,

माँ और बाप के लिए ॥

उज्जैनी में बाबा ने ऐसा, डमरू बजाया (Ujjaini Me Baba Ne Esa Damru Bajaya)

उज्जैनी में बाबा ने ऐसा,
डमरू बजाया,

वृंदावन जाने को जी चाहता है (Vrindavan Jane Ko Jee Chahta Hai)

वृंदावन जाने को जी चाहता है,
राधे राधे गाने को जी चाहता है ।

महर्षि वाल्मीकि जयंती 2024: की कथा, तिथि

वाल्मीकि जयंती अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। इसे शरद पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।

जो राम का नहीं, किसी काम का नहीं (Jo Ram Ka Nahi Kisi Kaam Ki Nahi)

वो नमस्ते दुआ और,
सलाम का नहीं,

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