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तू साँची है भवानी माँ, तेरा दरबार साँचा है: भजन (Tu Sanchi Hai Bhawani Maa Tera Darbar Sancha Hai)

तू साँची है भवानी माँ,

तेरा दरबार साँचा है,

टिका जिसपे जगत सारा,

तेरा माँ प्यार साँचा है ॥


तेरे मंदिर में जो आते,

कभी खाली नही जाते,

मुरादे मन की वो पाते,

तेरा उपकार साँचा है,

तू सांची है भवानी माँ,

तेरा दरबार साँचा है ॥


तेरी मैं राह निहारु माँ,

सभी कुछ तुझपे वारु माँ,

ये जीवन मैं सवारुँ माँ,

तेरा उजियार साँचा है,

तू सांची है भवानी माँ,

तेरा दरबार साँचा है ॥


अटल विश्वास नैनो में,

दरश की प्यास नैनो में,

है यही आस नैनो में,

माँ तेरा आधार साँचा है,

तू सांची है भवानी माँ,

तेरा दरबार साँचा है ॥


भाग्य सोया जगादो माँ,

भजन में भी लगा दो माँ,

कष्ट भूलन भगादो माँ,

तेरा प्रचार साँचा है,

तू सांची है भवानी माँ,

तेरा दरबार साँचा है ॥


तू साँची है भवानी माँ,

तेरा दरबार साँचा है,

टिका जिसपे जगत सारा,

तेरा माँ प्यार साँचा है ॥

चैत्र माह की पौराणिक कथा

नवरात्रि का अर्थ नौ रातें होता है, जो हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह त्योहार साल में दो बार मनाया जाता है। चैत्र और शारदीय नवरात्रि। इस दौरान मां दुर्गा की पूजा आराधना की जाती है। उनके नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। चैत्र नवरात्र का खास महत्व है।

आया पावन सोमवार (Aaya Pawan Somwar)

आया पावन सोमवार,
चलो शिव मंदिर को जाए,

हम लाड़ले खाटू वाले के हमें बाबा लाड़ लड़ाता है (Hum Ladale Khatu Wale Ke Hame Baba Laad Ladata Hai)

हम लाड़ले खाटू वाले के,
हमें बाबा लाड़ लड़ाता है,

आंवला नवमी व्रत कथा (Amla Navami Vrat Katha)

आंवला नवमी व्रत आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को रखा जाता है। आंवला नवमी के दिन ही भगवान विष्णु ने कुष्माण्डक नामक दैत्य को मारा था और साथ ही आंवला नवमी पर ही भगवान श्रीकृष्ण ने कंस का वध करने से पहले तीन वनों की परिक्रमा भी की थी।