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जगदाती पहाड़ों वाली माँ, मेरी बिगड़ी बनाने आ जाओ (Jagdati Pahado Wali Maa Meri Bigdi Banane Aa Jao)

जगदाती पहाड़ों वाली माँ,

मेरी बिगड़ी बनाने आ जाओ,

मेरा और सहारा कोई ना,

मेरी लाज बचाने आ जाओ,

जगदाती पहाड़ों वाली माँ,

मेरी बिगड़ी बनाने आ जाओ ॥


मैं निर्बल निर्धन दिन बड़ा,

मैं घिर गया गम के घेरों में,

मां ज्योति रुपा भय हरनी,

कहीं डूब ना जाऊं अंधेरों में,

कमजोर हूं मैं मैया,

मेरी चिंता मिटाने आजाओ,

मेरी चिंता मिटाने आजाओ,

जग दाती पहाड़ो वाली मां,

मेरी बिगड़ी बनाने आ जाओ ॥


तेरे भरे हुए भंडार है माँ,

मोहताज मैं दाने दाने का,

तेरे होते हुए दिल कांप रहा,

तेरे द्वार के इस दीवाने का,

मेरी नाव भंवर में फंसी,

इसे पार लगाने आ जाओ,

इसे पार लगाने आ जाओ,

जग दाती पहाड़ो वाली मां,

मेरी बिगड़ी बनाने आ जाओ ॥


कहीं एक गरीब की कुटिया ना,

लोगों की नजर से गिर जाए,

विश्वास के रंगों पर मैया,

कहीं पानी ही ना फिर जाए,

क्या करूं कुछ सूझे ना,

मुझे रास्ता दिखाने आ जाओ,

मुझे रास्ता दिखाने आ जाओ,

जग दाती पहाड़ो वाली मां,

मेरी बिगड़ी बनाने आ जाओ ॥


जगदाती पहाड़ों वाली माँ,

मेरी बिगड़ी बनाने आ जाओ,

मेरा और सहारा कोई ना,

मेरी लाज बचाने आ जाओ,

जगदाती पहाड़ो वाली मां,

मेरी बिगड़ी बनाने आ जाओ ॥


रक्षाबंधन क्यों मनाते हैं

रक्षाबंधन भाई-बहन के अटूट प्रेम और स्नेह का प्रतीक है। यह पर्व प्रतिवर्ष सावन माह की पूर्णिमा तिथि पर मनाया जाता है। इस दिन बहनें पूजा करके अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनकी सफलता एवं दीर्घायु की कामना करती हैं।

जय जय गणराज मनाऊँ (Jai Jai Ganraj Manaun )

जय जय गणराज मनाऊँ,
चरणों में शीश नवाऊं,

चलो मम्मी-पापा चलो इक बार ले चलो (Chalo Mummy Papa Ik Baar Le Chalo)

चलो मम्मी चलो पापा चलो मम्मी चलो पापा
चलो मम्मी चलो इक बार ले चलो

विष्णु सहस्त्रनाम (Vishnu Sahastranam )

ॐ विश्वं विष्णु: वषट्कारो भूत-भव्य-भवत-प्रभुः ।

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