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माँ देख तेरा श्रृंगार, करे दिल नाचण का(Ma Dekh Tera Shringar Kare Dil Nachan Ka)

माँ देख तेरा श्रृंगार,

करे दिल नाचण का,

नाचण का दिल नाचण का,

चाहे देखूं जितनी बार,

करे दिल नाचण का,

मां देख तेरा श्रृंगार,

करे दिल नाचण का ॥


प्यारी सूरत भोली भाली,

सोहे नथनी बिंदियाँ वाली,

प्यारा लागे गले का हार,

करे दिल नाचण का,

मां देख तेरा श्रृंगार,

करे दिल नाचण का ॥


ऐसा कोई फूल बचा ना,

जो तेरे गजरे में सजा ना,

माँ महक रहा संसार,

करे दिल नाचण का,

मां देख तेरा श्रृंगार,

करे दिल नाचण का ॥


कितना सुन्दर कितना प्यारा,

देख ले ‘सोनू’ आज नजारा,

क्या खूब सजा दरबार,

करे दिल नाचण का,

मां देख तेरा श्रृंगार,

करे दिल नाचण का ॥


माँ देख तेरा श्रृंगार,

करे दिल नाचण का,

नाचण का दिल नाचण का,

चाहे देखूं जितनी बार,

करे दिल नाचण का,

मां देख तेरा श्रृंगार,

करे दिल नाचण का ॥

षटतिला एकादशी पर ना करें ये काम

षटतिला एकादशी भगवान विष्णु जी को समर्पित है। हर साल माघ महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी को ही षटतिला एकादशी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन पूरी श्रद्धा के साथ भगवान विष्णु की आराधना करने से पापों से मुक्ति मिलती है।

हरिहर की पूजा कैसे करें?

सनातन धर्म में हरिहर में हरि से आश्य है भगवान विष्णु और हर यानी कि भगवान शिव। दोनों एक दूसरे के आराध्य हैं। इनकी पूजा करने से व्यक्ति का भाग्योदय होता है और जातकों को उत्तम परिणाम मिलते हैं।

परिवर्तनी एकादशी 2024: चातुर्मास के दौरान जब भगवान विष्णु बदलते हैं करवट, जानें इस दिन की पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व

हिंदू धर्म में व्रत और त्योहारों का बहुत महत्व है। हर एक त्योहार और व्रत से जुड़ी कई कथाएं होती हैं, जिन्हें पढ़ने और जानने से व्यक्ति को धार्मिक लाभ होते हैं।

दुर्गा अष्टमी क्यों मनाई जाती है

मासिक दुर्गा अष्टमी हर माह शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन जो भी साधक मां दुर्गा की पूरी श्रद्धा और लगन से व्रत करता है। मां उन सबकी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं।

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