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ओ राही रुक जाना, जहाँ चितचोर बसे, उस राह पे मत जाना (O Rahi Ruk Jana Jaha Chitchor Base Us Raah Pe Mat Jana)

ओ राही रुक जाना,

जहाँ चितचोर बसे,

उस राह पे मत जाना ॥


मोहन बड़ा छलिया है,

मोहन बड़ा छलिया है,

सर पे मोर मुकुट,

हाथों में मुरलिया है,

ओ राहीं रुक जाना,

जहाँ चितचोर बसे,

उस राह पे मत जाना ॥


तेरा धन नहीं लूटेगा,

तेरा धन नहीं लूटेगा,

तिरछी नजरिया से,

तेरे मन को लूटेगा,

ओ राहीं रुक जाना,

जहाँ चितचोर बसे,

उस राह पे मत जाना ॥


सुन ले पछताएगा,

सुन ले पछताएगा,

उसके पास गया,

फिर लौट ना आएगा,

ओ राहीं रुक जाना,

जहाँ चितचोर बसे,

उस राह पे मत जाना ॥


वो मुरली बजाएगा,

वो मुरली बजाएगा,

मीठी मीठी तानों से,

तेरे चित को चुराएगा,

ओ राहीं रुक जाना,

जहाँ चितचोर बसे,

उस राह पे मत जाना ॥


ओ राही रुक जाना,

जहाँ चितचोर बसे,

उस राह पे मत जाना ॥

कान्हा वे असां तेरा जन्मदिन मनावणा (Kahna Ve Assan Tera Janmdin Manavna)

रीझा भरी घडी यह आई,
घर घर होई रोशनाई

चन्दन चौक पुरावा मंगल कलश सजावा (Chandan Chowk Purawa Mangal Kalash Sajawa)

चन्दन चौक पुरावा,
मंगल कलश सजावा,

करवा चौथ व्रत-कथा की कहानी (Karva Chauth Vrat-katha Ki Kahani)

अतीत प्राचीन काल की बात है। एक बार पाण्डु पुत्र अर्जुन तब करने के लिए नीलगिरि पर्वत पर चले गए थे।

घनश्याम तुम्हारे मंदिर में (Ghanshyam Tumhare Mandir Mein)

घनश्याम तुम्हारे मंदिर में,
मैं तुम्हे रिझाने आई हूँ,