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अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं (Achyutam Keshavam Krishna Damodaram)

श्री राम नवमी, विजय दशमी, सुंदरकांड, रामचरितमानस कथा और अखंड रामायण के पाठ में प्रमुखता से गाये जाने वाला भजन।


अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं,

राम नारायणं जानकी बल्लभम ।


कौन कहता हे भगवान आते नहीं,

तुम मीरा के जैसे बुलाते नहीं ।


अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं,

राम नारायणं जानकी बल्लभम ।


कौन कहता है भगवान खाते नहीं,

बेर शबरी के जैसे खिलाते नहीं ।


अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं,

राम नारायणं जानकी बल्लभम ।


कौन कहता है भगवान सोते नहीं,

माँ यशोदा के जैसे सुलाते नहीं ।


अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं,

राम नारायणं जानकी बल्लभम ।


कौन कहता है भगवान नाचते नहीं,

गोपियों की तरह तुम नचाते नहीं ।


अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं,

राम नारायणं जानकी बल्लभम ।


नाम जपते चलो काम करते चलो,

हर समय कृष्ण का ध्यान करते चलो ।


अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं,

राम नारायणं जानकी बल्लभम ।


याद आएगी उनको कभी ना कभी,

कृष्ण दर्शन तो देंगे कभी ना कभी ।


अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं,

राम नारायणं जानकी बल्लभम ।

मेरा भोला हे भंडारी, जटाधारी अमली (Mera Bhola Hai Bhandari Jatadhari Amali)

मेरा शिव भोला भंडारी,
जटाधारी अमली,

मेरी विनती सुनो हनुमान, शरण तेरी आया हूँ (Meri Vinti Suno Hanuman Sharan Teri Aaya Hun)

मेरी विनती सुनो हनुमान,
शरण तेरी आया हूँ,

अरे माखन की चोरी छोड़ साँवरे मैं समझाऊँ तोय (Are Makhan Ki Chori Chhod Sanvare Main Samjhau Toye)

अरे माखन की चोरी छोड़,
साँवरे मैं समझाऊँ तोय,

कब है भीष्म द्वादशी

महाभारत में अर्जुन ने भीष्म पितामह को बाणों की शैय्या पर लिटा दिया था। उस समय सूर्य दक्षिणायन था। इसलिए, भीष्म पितामह ने सूर्य के उत्तरायण होने का इंतजार किया और माघ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन अपने प्राण त्यागे।

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