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लाज रखो हे कृष्ण मुरारी (Laaj Rakho Hey Krishna Murari)

लाज रखो हे कृष्ण मुरारी,

हे गिरधारी हे बनवारी,

हे गिरधारी हे बनवारी,

लाज रखों हे कृष्ण मुरारी ॥


कहता है खुद को बलशाली,

कहता है खुद को बलशाली,

खिंच रहा,

खिंच रहा अबला की साड़ी,

लाज रखों हे कृष्ण मुरारी,

हे गिरधारी हे बनवारी,

हे गिरधारी हे बनवारी,

लाज रखों हे कृष्ण मुरारी ॥


मैं समझी थी एक है अंधा,

मैं समझी थी एक है अंधा,

यहाँ तो अंधी,

यहाँ तो अंधी सभा है सारी,

लाज रखों हे कृष्ण मुरारी,

हे गिरधारी हे बनवारी,

हे गिरधारी हे बनवारी,

लाज रखों हे कृष्ण मुरारी ॥


अब मैं आस करूँ कहो किस पर,

अब मैं आस करूँ कहो किस पर,

सबके सब,

सबके सब बैठे है जुआरी,

लाज रखों हे कृष्ण मुरारी,

हे गिरधारी हे बनवारी,

हे गिरधारी हे बनवारी,

लाज रखों हे कृष्ण मुरारी ॥


सर निचे करके बैठे है,

सर निचे करके बैठे है,

वही गदा वही,

वही गदा वही गांडीव धारी,

लाज रखों हे कृष्ण मुरारी,

हे गिरधारी हे बनवारी,

हे गिरधारी हे बनवारी,

लाज रखों हे कृष्ण मुरारी ॥

BhaktiBharat Lyrics


लाज रखो हे कृष्ण मुरारी,

हे गिरधारी हे बनवारी,

हे गिरधारी हे बनवारी,

लाज रखों हे कृष्ण मुरारी ॥

मौनी अमावस्या पर करें पितृ चालीसा पाठ

माघ माह की अमावस्या का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। इस दिन लोग पूजा-अर्चना और पितरों की पूजा में भाग लेते हैं। मौनी अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से पुण्य प्राप्ति होती है और पितरों का आशीर्वाद मिलता है।

मन भजले पवनसुत नाम, प्रभु श्री राम जी आएंगे(Man Bhaj Le Pawansut Naam Prabhu Shri Ram Ji Aayenge)

मन भजले पवनसुत नाम,
प्रभु श्री राम जी आएंगे,

गणाधिप संकष्टी चतुर्थी का मुहूर्त

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत से पहले गणेश जी की पूजा का विधान है। इसी लिए विघ्नहर्ता और मंगलकर्ता गणेश जी को समर्पित गणाधिप संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि का बनी रहती है।

मासिक शिवरात्रि कब है?

हिंदू धर्म में चतुर्दशी तिथि का विशेष महत्व है। मासिक शिवरात्रि का व्रत भगवान शिव के प्रति भक्ति और आस्था का प्रतीक है। इस दिन विधिपूर्वक पूजा और व्रत करने वाले श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

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