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ओ मेरे गोपाल कन्हैया, मोहन मुरली वाले (O Mere Gopal Kanhaiya Mohan Murliwale)

ओ मेरे गोपाल कन्हैया,

मोहन मुरली वाले,

मोहन मुरली वाले,

गोपाल मुरलिया वाले,

ओ मेरे गोपाल कन्हैंया,

मोहन मुरली वाले ॥


कहो कैसे तुझे रिझाऊं रसिया,

गुणवान नहीं धनवान नहीं,

कोई बड़ा जगत में मान नहीं,

फिर कैसे तुम्हे अपनाऊं रसिया,

कहो कैसे तुझे रिझाऊं रसिया ॥


कोई जप तप संयम नियम नहीं,

मेरा गोपियों जैसा प्रेम नहीं,

फिर कैसे तुम्हे रिझाऊं रसिया,

कहो कैसे तुझे रिझाऊं रसिया ॥


कोई गुण का बड़ा भंडार नहीं,

मेरा मीरा जैसा प्यार नहीं,

फिर कैसे तुम्हे मनाऊं रसिया,

कहो कैसे तुझे रिझाऊं रसिया ॥


मेरे भीलनी जैसे बेर नहीं,

तेरे आने में तो देर नहीं,

फिर कैसे भोग लगाऊं रसिया,

कहो कैसे तुझे रिझाऊं रसिया ॥


ओ मेरे गोपाल कन्हैया,

मोहन मुरली वाले,

मोहन मुरली वाले,

गोपाल मुरलिया वाले,

ओ मेरे गोपाल कन्हैंया,

मोहन मुरली वाले ॥


किस दिन है चंपा षष्ठी का व्रत

चंपा षष्ठी का पर्व भारत के प्राचीन त्योहारों में से एक है, जो विशेष रूप से भगवान शिव के खंडोबा स्वरूप और भगवान कार्तिकेय की पूजा के लिए समर्पित है। मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को यह व्रत मनाया जाता है।

बधाई भजन: बजे कुण्डलपर में बधाई, के नगरी में वीर जन्मे (Badhai Bhajan Baje Kundalpur Me Badayi Nagri Me Veer Janme)

बजे कुण्डलपर में बधाई,
के नगरी में वीर जन्मे, महावीर जी

तू महलों में रहने वाली (Tu Mahalon Main Rahne Wali)

तू महलों में रहने वाली
मैं जोगी जट्टा धारी हूँ