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पकड़ लो बाँह रघुराई, नहीं तो डूब जाएँगे - भजन (Pakadlo Bah Raghurai, Nahi Too Doob Jayenge)

पकड़ लो बाँह रघुराई,

नहीं तो डूब जाएँगे ।


डगर ये अगम अनजानी,

पथिक मै मूड अज्ञानी ।

संभालोगे नही राघव,

तो कांटे चुभ जाएँगे ।

पकड़ लो बाँह रघुराई,

नहीं तो डूब जाएँगे ।


नहीं बोहित मेरा नौका,

नहीं तैराक मै पक्का ।

कृपा का सेतु बंधन हो,

प्रभु हम खूब आएँगे ।

पकड़ लो बाँह रघुराई,

नहीं तो डूब जाएँगे ।


नहीं है बुधि विधा बल,

माया में डूबी मती चंचल ।

निहारेंगे मेरे अवगुण तो,

प्रभु जी ऊब जाएँगे ।

पकड़ लो बाँह रघुराई,

नहीं तो डूब जाएँगे ।


प्रतीक्षारत है ये आँगन,

शरण ले लो सिया साजन ।

शिकारी चल जिधर प्रहलाद,

जी भूल जाएँगे ।

पकड़ लो बाँह रघुराई,

नहीं तो डूब जाएँगे ।

नहीं तो डूब जाएँगे,

नहीं तो डूब जाएँगे ।

धुला लो पाँव राघव जी, अगर जो पार जाना है (Dhul Lo Paanv Raghav Ji Agar Jo Paar Jana Hai)

धुला लो पाँव राघव जी,
अगर जो पार जाना है,

हे करुणा मयी राधे, मुझे बस तेरा सहारा है (Hey Karuna Mayi Radhe Mujhe Bas Tera Sahara Hai)

हे करुणा मयी राधे,
मुझे बस तेरा सहारा है,

डमरू वाले आजा, तेरी याद सताए (Damru Wale Aaja Teri Yaad Sataye)

डमरू वाले आजा,
तेरी याद सताए,

बुध प्रदोष व्रत, नवंबर 2024

सनातन धर्म में प्रत्येक तिथि का अपना विशेष महत्व है, जैसे एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है, वैसे ही त्रयोदशी तिथि महादेव भगवान शिव की प्रिय तिथि मानी जाती है।