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सात्विक मंत्र क्या है?

जानिए क्या होते हैं सात्विक मंत्र, मानसिक और शारीरिक के लिए महत्वपूर्ण 


हिंदू धर्म और सनातन परंपरा में मंत्रों का विशेष महत्व है। इनके उच्चारण से ना सिर्फ आध्यात्मिक उन्नति होती है। बल्कि, यह मानसिक और शारीरिक शांति भी प्रदान करता है। मंत्रों को शास्त्रों में तीन प्रकारों में विभाजित किया गया है: सात्विक, राजसिक, और तामसिक। इन तीनों का अपना-अपना महत्व भी बताया गया है। तो आइए इस लेख में हम सात्विक मंत्रों के बारे में विस्तार से जानते हैं। 


क्या है सात्विक मंत्र?


सात्विक मंत्रों को आत्म-शुद्धि और उत्थान का विशिष्ट मध्यम माना जाता है। इनका उद्देश्य मोक्ष प्राप्त करना, मन और आत्मा को शुद्ध करना और निष्काम भाव से ईश्वर की आराधना करना होता है। सात्विक मंत्रों का जप नियमित रूप से किया जाता है और इनसे साधक को मानसिक शांति, आध्यात्मिक ऊर्जा एवं जीवन में सकारात्मकता प्राप्त होती है।


मंत्रों के तीन भेद


शास्त्रों में मंत्रों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है, जिनमें से सात्विक मंत्र सर्वोच्च माने जाते हैं। 


1. सात्विक मंत्र: आत्म-शुद्धि, मोक्ष और निष्काम भक्ति के लिए उपयोग किए जाते हैं। यह ईश्वर की आराधना और मानसिक शांति का माध्यम है। उदाहरण: गायत्री मंत्र, राम मंत्र, शिव मंत्र।

2. राजसिक मंत्र: भौतिक इच्छाओं, यश, ऐश्वर्य और धन-धान्य की प्राप्ति के लिए इसका उपयोग किया जाता है। ये सांसारिक सुख और समृद्धि की कामना करने वाले मंत्र में आते हैं। 

3. तामसिक मंत्र: ये मंत्र विशेषकर तांत्रिक क्रियाओं और नकारात्मक उद्देश्यों जैसे मारण, उच्चाटन और शत्रु-दमन एवं अधिकतर तांत्रिक साधनाओं में उपयोग किए जाते हैं। 



सात्विक मंत्रों की विशेषताएं


  1. आत्म-शुद्धि के लिए: सात्विक मंत्रों का मुख्य उद्देश्य आत्मा की शुद्धि और मानसिक शांति प्रदान करना है।
  2. निष्काम भक्ति: इन मंत्रों का जाप किसी भौतिक लाभ के लिए नहीं, बल्कि ईश्वर की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
  3. सद्गुणों का विकास: सात्विक मंत्र साधक के जीवन में सत्य, करुणा, और शांति जैसे गुणों का विकास करते हैं।
  4. प्राकृतिक और सरल: सात्विक मंत्रों का उच्चारण सरल होता है। इनमें गूढ़ तांत्रिक विधियों की आवश्यकता नहीं पड़ती। 


पुराणों और धर्मग्रंथों में सात्विक मंत्र


पुराणों और वैदिक ग्रंथों में सात्विक मंत्रों का उल्लेख बार-बार है। ये मंत्र देवताओं की उपासना, आत्मा की शुद्धि और ब्रह्मांडीय शक्ति के साथ जुड़ने के साधन के रूप में वर्णित हैं।

  1. वैदिक मंत्र: गायत्री मंत्र को वैदिक साहित्य में सर्वोच्च स्थान दिया गया है।
  2. पौराणिक मंत्र: शिव, विष्णु और राम की उपासना के लिए कई मंत्र पुराणों में उल्लिखित हैं।
  3. उपनिषद: आध्यात्मिक जागरूकता और मोक्ष प्राप्ति के लिए सात्विक मंत्रों का उपनिषद में मार्गदर्शन किया गया है।


सात्विक मंत्रों के उदाहरण


नीचे कुछ प्रचलित सात्विक मंत्र दिए गए हैं, जो धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। 


1. गायत्री मंत्र: "ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।" यह मंत्र आत्मज्ञान और मानसिक शांति के लिए सर्वोत्तम माना जाता है।

2. श्री राम मंत्र: "श्री राम, जय राम, जय जय राम।" इस मंत्र को भगवान राम की स्तुति और आशीर्वाद प्राप्ति के लिए  उपयोग किया जाता है।

3. शिव मंत्र: "ॐ नमः शिवाय।" यह मंत्र शिवभक्ति का प्रतीक है और व्यक्ति के भीतर आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार करता है।

4. हनुमान मंत्र: "ॐ हं हनुमते नमः।" यह मंत्र भय और नकारात्मकता को दूर करने में सहायक है।


सात्विक मंत्रों का प्रभाव


  1. मानसिक शांति: इन मंत्रों का नियमित जाप मन को शांत करता है और तनाव को कम करता है।
  2. आध्यात्मिक जागरूकता: सात्विक मंत्र व्यक्ति को आत्मा और ब्रह्मांड के साथ जोड़ते हैं।
  3. नैतिक गुणों का विकास: साधक के जीवन में सकारात्मकता, दया तथा करुणा जैसे गुणों का विकास होता है।
  4. स्वास्थ्य और कल्याण: मंत्रों की ध्वनि तरंगें शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव डालती हैं।

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