नवीनतम लेख
ॐ जय जानकीनाथा, प्रभु! जय श्रीरघुनाथा। दोउ कर जोरें बिनवौं, प्रभु! सुनियेबाता॥
बन्दौं रघुपति करुना निधान, जाते छूटै भव-भेद ग्यान॥ रघुबन्स-कुमुद-सुखप्रद निसेस, सेवत पद-पन्कज अज-महेस॥
सत्य, सनातन, सुंदर, शिव! सबके स्वामी । अविकारी, अविनाशी, अज, अंतर्यामी ॥
आरती कीजै श्री रघुवर जी की, सत् चित् आनन्द शिव सुन्दर की। दशरथ तनय कौशल्या नन्दन, सुर मुनि रक्षक दैत्य निकन्दन।
श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन,हरण भवभय दारुणम्। नव कंज लोचन, कंज मुख कर, कंज पद कंजारुणम्॥
ॐ जय श्री श्याम हरे, बाबा जय श्री श्याम हरे । खाटू धाम विराजत, अनुपम रूप धरे॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥ आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
जयति जयति जग-निवास,शंकर सुखकारी॥ जयति जयति जग-निवास,शंकर सुखकारी॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे, स्वामी जय चित्रगुप्त हरे । भक्तजनों के इच्छित, फलको पूर्ण करे॥
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता । तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता ॥