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श्री रघुपति जी की वंदना (Shri Raghupati Ji Ki Vandana)

बन्दौं रघुपति करुना निधान, जाते छूटै भव-भेद ग्यान॥


रघुबन्स-कुमुद-सुखप्रद निसेस, सेवत पद-पन्कज अज-महेस॥


निज भक्त-हृदय पाथोज-भृन्ग, लावन्य बपुष अगनित अनन्ग॥


अति प्रबल मोह-तम-मारतण्ड, अग्यान-गहन- पावक-प्रचण्ड॥


अभिमान-सिन्धु-कुम्भज उदार, सुररन्जन, भन्जन भूमिभार॥


रागादि- सर्पगन पन्नगारि, कन्दर्प-नाग-मृगपति, मुरारि॥


भव-जलधि-पोत चरनारबिन्द, जानकी-रवन आनन्द कन्द॥


हनुमन्त प्रेम बापी मराल, निष्काम कामधुक गो दयाल॥


त्रैलोक-तिलक, गुनगहन राम, कह तुलसिदास बिश्राम-धाम॥


बोलिये राघवेंद्र सरकार की जय

हरी सिर धरे मुकुट खेले होरी (Hari Sir Dhare Mukut Khele Hori)

हरी सिर धरे मुकुट खेले होरी
कहाँ से आयो कुँवर कन्हैया

श्री रामायण जी की आरती (Shri Ramayan Ji Ki Aarti)

आरती श्री रामायण जी की।
कीरति कलित ललित सिया-पी की॥

सात्विक मंत्र क्यों पढ़ने चाहिए?

'मंत्र' का अर्थ है मन को एकाग्र करने और अनावश्यक विचारों से मुक्त करने का एक सरल उपाय। आज की तेज़ भागदौड़ भरी ज़िंदगी में मानसिक शांति प्राप्त करना अत्यंत कठिन हो गया है।

कथा कहिए भोले भण्डारी जी (Katha Kahiye Bhole Bhandari Ji)

पूछे प्यारी शैलकुमारी
कथा कहिए भोले भण्डारी जी ।