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कथा कहिए भोले भण्डारी जी (Katha Kahiye Bhole Bhandari Ji)

पूछे प्यारी शैलकुमारी

कथा कहिए भोले भण्डारी जी ।


प्रथम सोकारन कहहू बिचारी

निर्गुण ब्रम्हा शगुन बपु धारी

ब्रह्म बन , ब्रह्म बने अवध बिहारी

कथा कहिए भोले भण्डारी जी ।

ब्रह्म बने अवध बिहारी

कथा कहिए भोले भण्डारी जी ।


पूछे प्यारी शैलकुमारी

कथा कहिए भोले भण्डारी जी ।


कहिए कथा प्रभु राम अवतार की

महाकाल कहिए बाल चरित उदार की

कैसे ब्याहे, कैसे ब्याहे जनक दुलारी

कथा कहिए भोले भण्डारी जी ।

कैसे ब्याहे जनक दुलारी

कथा कहिए भोले भण्डारी जी ।


पूछे प्यारी शैलकुमारी

कथा कहिए भोले भण्डारी जी ।


दोष कवन राज रजे मेरे सरकार की

कहिए बनवासी राम चरित अपार की

कैसे दिए, कैसे दिए रावण को मारी

कथा कहिए भोले भण्डारी जी ।

कैसे दिए रावण को मारी

कथा कहिए भोले भण्डारी जी ।


पूछे प्यारी शैलकुमारी

कथा कहिए भोले भण्डारी जी ।


राज रामचन्द्र जी की कहिए ना लीला

मेरे नाथ विश्वनाथ शम्भू सुख शिला

कैसा धाम, कैसे धाम गए हैं खरारी

कथा कहिए भोले भण्डारी जी ।

कैसे धाम गए हैं खरारी

कथा कहिए भोले भण्डारी जी ।


पूछे प्यारी शैलकुमारी

कथा कहिए भोले भण्डारी जी ।


पूछने में छुट गया राजन से जो भी

रखिए ना गोपनीय नाथ उसको भी

शरण में, शरण में आपके शिकारी

कथा कहिए भोले भण्डारी जी ।

शरण में आपके शिकारी

कथा कहिए भोले भण्डारी जी ।


पूछे प्यारी शैलकुमारी

कथा कहिए भोले भण्डारी जी ।

होलिका दहन की राख शुभ है या अशुभ?

होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत और भक्ति की शक्ति को दर्शाता है। कुछ जगह मान्यता है कि होलिका में राक्षस हिरण्यकश्युप की बहन होलिका जल गईं थीं इसलिए ये अशुभता का प्रतीक है।

सुहागिनों के लिए क्यों खास है गणगौर

गणगौर व्रत भारतीय संस्कृति में स्त्रियों की श्रद्धा, प्रेम और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। यह पर्व विशेष रूप से राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और हरियाणा में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।

गुड़ी पड़वा क्यों मनाया जाता है

गुड़ी पड़वा मुख्य रूप से चैत्र माह में नवरात्रि की प्रतिपदा के दिन मनाया जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार इसी दिन से नववर्ष की शुरुआत भी होती है। इस साल गुड़ी पड़वा 30 मार्च, रविवार को मनाई जाएगी और इसी दिन चैत्र नवरात्रि भी शुरू होगी।

माँ मुरादे पूरी करदे हलवा बाटूंगी(Maa Murade Puri Karde Main Halwa Batungi)

माँ मुरादे पूरी करदे हलवा बाटूंगी।
ज्योत जगा के, सर को झुका के,

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