नवीनतम लेख

कब मनाई जाएगी धनु संक्रांति

Dhanu Sankranti: कब मनाई जाएगी धनु संक्रांति? नोट करें शुभ मुहूर्त एवं योग


सनातन धर्म में भगवान सूर्य को ग्रहों का राजा बताया गया है।  ऐसी मान्यता है कि जिसकी राशि में भगवान सूर्य शुभ होते हैं, उसका सोया हुआ भाग्य भी जाग उठता है। वहीं, भगवान सूर्य जब राशि बदलते हैं तो उसे भी बहुत शुभ माना जाता है। अभी सूर्य देव वृश्चिक राशि में गोचर कर रहे हैं। जबकि, 15 दिसंबर को उनका राशि परिवर्तन होगा और वे धनु राशि में चले जाएंगे। इसी दिन धनु संक्रांति मनाई जाएगी। तो आइए इस आलेख में धनु-संक्रांति के बारे में विस्तार से जानते हैं। 


जानिए क्या है धनु संक्रांति? 


ग्रहों के राजा भगवान सूर्य का जिस राशि में प्रवेश होता है उसके अनुसार उक्त संक्रांति का नामकरण भी होता है।  भगवान सूर्य के धनु राशि में प्रवेश के साथ ही खरमास लग जाता है। हिंदू धर्म में खरमास लगने के साथ ही सभी प्रकार के मांगलिक काम जैसे-शादी, सगाई, नामकरण, गृह प्रवेश इत्यादि पर रोक लग जाता है। हालांकि, खरमास में पूजा अर्चना पर प्रतिबंध नहीं रहता है। मान्यता है कि खरमास में पूजा पाठ करने से इसका विशेष फल भक्तों को प्राप्त होता है। 


कब है धनु संक्रांति का पुण्यकाल?


बता दें कि धनु संक्रांति 15 दिसंबर 2024 को पड़ रही है। इसलिए, धनु संक्रांति का पुण्यकाल 15 दिसंबर को दोपहर 12:16 मिनट पर शुरु होगा और ये शाम को 5:26 मिनट तक रहेगा। वहीं धनु संक्रांति का महापुण्य काल दोपहर 03:43 मिनट से शुरू होगा और शाम 05:26 मिनट तक रहेगा। धनु संक्रांति के दिन महापुण्य काल 1 घंटे और 43 मिनट का होगा। बता दें कि भक्त पुण्य काल के दौरान गंगा समेत पवित्र नदियों में स्नान-ध्यान कर पूजा, जप-तप और दान-पुण्य कर सकते हैं। 


शुभ योग का हो रहा है निर्माण 


धनु संक्रांति पर शुभ योग का निर्माण हो रहा है। इसके साथ ही शुक्ल योग का भी संयोग बन रहा है। इन योग में सूर्य देव की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होगी। साथ ही करियर और कारोबार को नया आयाम मिलेगा।


बह्म मुहूर्त में उठने से मिलेगा सौभाग्य


धनु संक्रांति के दिन बह्म मुहूर्त में उठना चाहिए। इसके बाद पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए। क्योंकि, ऐसा करने वाला व्यक्ति आरोग्य रहता है और उसे अक्षय पुण्य का फल प्राप्त होता है। धनु संक्रांति के विशेष दिन पर शुभ मुहूर्त में भगवान सत्यनारायण का पाठ करना और सुनना चाहिए, इससे भी विशेष फल प्राप्त होता है। 


इस दिन जरूर करें सूर्यदेव की पूजा


धनु संक्रांति के दिन भगवान सूर्य की पूजा की जरूर करनी चाहिए। इस दिन भगवान सूर्य की पूजा करने का विशेष महत्व माना गया है। हिंदू धर्म के अनुसार जो कोई भी धनु संक्रांति के दिन भगवान सूर्य की पूजा के साथ-साथ दान पुण्य करता है उस पर भगवान सूर्य प्रसन्न हो जाते हैं और अपनी विशेष कृपा करते हैं। धनु संक्रांति के दिन भगवान सूर्य की पूजा के साथ दान पुण्य करने वाले भक्तों के जीवन से भगवान भास्कर सभी प्रकार के दुख को दूर कर देते हैं।


घर घर बधाई बाजे रे देखो (Ghar Ghar Badhai Baje Re Dekho)

घर घर बधाई बाजे रे देखो,
घर घर बधाई बाजे रे,

राधिका गोरी से बिरज की छोरी से - बाल लीला (Bal Leela Radhika Gori Se Biraj Ki Chori Se)

राधिका गोरी से बिरज की छोरी से,
मैया करादे मेरो ब्याह

श्री विष्णु दशावतार स्तोत्रम् (Shri Vishnu Dashavatar Stotram)

प्रलयपयोधिजले धृतवानसि वेदम्।

क्या लेके आया जग में क्या लेके जाऐगा (Kya Leke Aaya Bande Kya Leke Jayega)

क्या लेके आया बन्दे,
क्या लेके जायेगा,