नवीनतम लेख

धरती गगन में होती है (Dharti Gagan Mein Hoti Hai)

धरती गगन में होती है,

तेरी जय जयकार ॥


श्लोक – सर्व मंगल मांगल्ये,

शिवे सर्वार्थ साधिके,

शरण्ये त्रियमभीके गौरी,

नारायणी नमोस्तुते।

जय जय शेरावाली माँ,

जय जय मेहरवाली माँ,

जय जय लाटावाली माँ,

जय जय जोतावाली माँ,

जय जय लाटावाली माँ ॥


जयकारा शेरावाली दा,

बोल साचे दरबार की जय।

धरती गगन में होती है,

तेरी जय जयकार हो मैया,

उँचे भवन में होती है,

तेरी जय जयकार,

दुनिया तेरा नाम जपे,

हो दुनिया तेरा नाम जपे,

तुझको पूजे संसार,

धरती गगन में होती है,

तेरी जय जयकार हो मैया,

उँचे भवन में होती है,

तेरी जय जयकार ॥


सरस्वती महा लक्ष्मी काली,

तीनो की तू प्यारी,

गुफा के अंदर तेरा मंदिर,

तेरी महिमा न्यारी,

शिव की जता से निकली गंगा,

आई शरण तिहारी,

आदि शक्ति आद भवानी,

तेरी शेर सवारी,

हे अंबे हे माँ जगदम्बे,

करना तू इतना उपकार,

आए है तेरे चरणों में,

देना हमको प्यार।

धरती गगन मे होती है,

तेरी जय जयकार हो मैया,

उँचे भवन में होती है,

तेरी जय जयकार ॥


ब्रम्हा विष्णु महेश भी तेरे,

आगे शीश झुकाए,

सूरज चाँद सितारे तुझसे,

उजियारा ले जाए,

देव लोक के देव भी मैया,

तेरे ही गुण गाए,

मानव करे जो तेरी भक्ति,

भव सागर तर जाए,

हे अंबे हे माँ जगदम्बे,

करना तू इतना उपकार,

आए है तेरे चरणों में,

देना हमको प्यार।

धरती गगन मे होती है,

तेरी जय जयकार हो मैया,

उँचे भवन में होती है,

तेरी जय जयकार ॥


धरती गगन में होती है,

तेरी जय जयकार हो मैया,

उँचे भवन में होती है,

तेरी जय जयकार,

दुनिया तेरा नाम जपे,

हो दुनिया तेरा नाम जपे,

तुझको पूजे संसार,

धरती गगन मे होती है,

तेरी जय जयकार हो मैया,

उँचे भवन में होती है,

तेरी जय जयकार ॥

होली पर गुजिया क्यों बनाई जाती है

हर घर में होली के मौके पर गुजिया बनाई और खाई जाती है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि होली पर गुजिया बनाने की परंपरा क्यों है? इसके पीछे एक दिलचस्प पौराणिक कथा और ऐतिहासिक महत्व छिपा हुआ है। तो आइए जानते हैं कि होली पर गुजिया क्यों बनाई जाती है और इसके पीछे की कहानियां क्या हैं।

लट्ठमार होली कैसे खेली जाती है

बरसाने में लट्ठमार होली फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाई जाती है, जो इस साल 8 मार्च को पड़ रही है। यह त्योहार राधा-कृष्ण के प्रेम की लीलाओं को दर्शाता है।

बृहस्पतिवार व्रत कथा और महत्व

सातों दिन में गुरुवार का दिन भगवान विष्णु और गुरु बृहस्पति को समर्पित होता है। इस दिन बृहस्पतिवार व्रत और कथा के पाठ करने का विधान है।

गणपति तेरे चरणों की, पग धूल जो मिल जाए (Ganapati Tere Charno Ki Pag Dhool Jo Mil Jaye)

गणपति तेरे चरणों की,
बप्पा तेरे चरणों की,

यह भी जाने