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सियारानी का अचल सुहाग रहे - भजन (Bhajan: Siyarani Ka Achal Suhag Rahe)

मेरे मिथिला देश में, आओ दूल्हा भेष ।

ताते यही उपासना, चाहिए हमें हमेशा ॥


सियारानी का अचल सुहाग रहे ।

मैया रानी का अचल सुहाग रहे ।

राजा राम जी के सिर पर ताज रहे ॥


जब तक पृथ्वी अहिषीश रहे ।

नभ में शशि सूर्य प्रकाश रहे ।

गंगा जमुना की धार रहे ।

तब तक यह बानक बना रहे ॥

॥ सियारानी का अचल सुहाग रहे...॥


ये बना रहें वे बनीं रहें ।

नित बना बनीं में बनीं रहें ॥

अविचल श्री अवध का राज रहे ।

अविरल श्री सरयू की धार बहे ।

॥ सियारानी का अचल सुहाग रहे...॥


प्रेमीजन का बरभाग रहे ।

चरणों में नित अनुराग रहे ॥

ये सुहाग रहे सिरताज रहे ।

नित नित यह बानक बना रहे ॥

॥ सियारानी का अचल सुहाग रहे...॥


सियारानी का अचल सुहाग रहे ।

मैया रानी का अचल सुहाग रहे ।

राजा राम जी के सिर पर ताज रहे ॥


आए मैया के नवराते (Aaye Maiya Ke Navrate)

आए मैया के नवराते,
हो रहे घर घर में,

गुड़ी पड़वा क्यों मनाया जाता है

गुड़ी पड़वा मुख्य रूप से चैत्र माह में नवरात्रि की प्रतिपदा के दिन मनाया जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार इसी दिन से नववर्ष की शुरुआत भी होती है। इस साल गुड़ी पड़वा 30 मार्च, रविवार को मनाई जाएगी और इसी दिन चैत्र नवरात्रि भी शुरू होगी।

गणेश जी की आरती

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा,
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।

जरा देर ठहरो राम तमन्ना यही है (Jara Der Thehro Ram Tamanna Yahi Hai)

जरा देर ठहरो राम तमन्ना यही है
अभी हमने जी भर के देखा नहीं है ॥