नवीनतम लेख

गणेश चतुर्थी व्रत कथा

Ganesh Chaturthi katha: गणेश चतुर्थी व्रत कथा के पाठ से प्रसन्न होंगे गणपति बप्पा, दूर होंगे सारे संकट


गणेश चतुर्थी को गणपति जी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन संपूर्ण विधि-विधान के साथ घर में एक दिन, दो दिन, तीन दिन या फिर 9 दिनों के लिए गणेश जी की स्थापना की जाती है। गणेश जी की पूजा में इस कथा को पढ़ना अत्यंत आवश्यक माना गया है। इस व्रत की कथा सुनने या पढ़ने से मन को शांति मिलती है और जीवन में आने वाले कष्ट दूर होते हैं। आइए जानते हैं कि यह कथा क्या है।


गणेश चतुर्थी व्रत कथा


एक बार भगवान शिव और माता पार्वती नर्मदा नदी के किनारे बैठे थे। वहां माता पार्वती ने भगवान शिव से समय व्यतीत करने के लिए चौपड़ खेलने को कहा। शिव जी चौपड़ खेलने के लिए तैयार हो गए, लेकिन खेल में हार-जीत का निर्णय कौन करेगा, यह समस्या सामने आई। तब भगवान शिव ने कुछ तिनके एकत्र कर उनका एक पुतला बनाया और उसमें प्राण-प्रतिष्ठा कर दी। उन्होंने उस पुतले से कहा, "बेटा, हम चौपड़ खेलना चाहते हैं, परंतु हमारी हार-जीत का निर्णय देने वाला कोई नहीं है। इसलिए तुम बताना कि हम दोनों में से कौन जीता और कौन हारा?"

इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती का चौपड़ खेल शुरू हुआ। यह खेल तीन बार खेला गया और संयोगवश तीनों बार माता पार्वती ही विजयी रहीं। खेल समाप्त होने के बाद बालक से हार-जीत का निर्णय देने को कहा गया, लेकिन उस बालक ने महादेव को विजयी घोषित कर दिया।

यह सुनकर माता पार्वती अत्यंत क्रोधित हो गईं और उन्होंने क्रोध में आकर बालक को लंगड़ा होने और कीचड़ में पड़े रहने का श्राप दे दिया। बालक ने माता पार्वती से क्षमा मांगी और कहा कि यह अज्ञानवश हुआ है, उसने किसी द्वेष भाव से ऐसा नहीं किया।

बालक द्वारा क्षमा मांगने पर माता पार्वती ने कहा, "यहां गणेश पूजन के लिए नागकन्याएं आएंगी, उनके कहे अनुसार तुम गणेश व्रत करो, ऐसा करने से तुम मुझे पुनः प्राप्त कर सकोगे।" यह कहकर माता पार्वती भगवान शिव के साथ कैलाश पर्वत लौट गईं।


गणेश व्रत का प्रभाव


एक वर्ष के बाद उस स्थान पर नागकन्याएं आईं। तब बालक ने उनसे श्री गणेश के व्रत की विधि पूछी और 21 दिनों तक श्रद्धापूर्वक गणेश व्रत किया। उसकी भक्ति से गणेश जी प्रसन्न हुए और उसे मनचाहा वरदान मांगने के लिए कहा।

बालक ने प्रार्थना की, "हे विनायक! मुझमें इतनी शक्ति प्रदान करें कि मैं अपने पैरों से चलकर माता-पिता के पास कैलाश पर्वत पहुंच सकूं, जिससे वे प्रसन्न हों।"

गणपति बप्पा ने उसकी मनोकामना पूरी की और वरदान देकर अंतर्ध्यान हो गए। इसके बाद वह बालक अपने माता-पिता के पास कैलाश पर्वत पहुंच गया और अपनी कथा भगवान शिव को सुनाई।

चौपड़ के दिन से माता पार्वती भगवान शिव से रुष्ट थीं, इसलिए भगवान शिव ने भी बालक के कहे अनुसार 21 दिनों तक श्री गणेश का व्रत किया। इस व्रत के प्रभाव से माता पार्वती का क्रोध शांत हो गया और उन्होंने भगवान शिव को क्षमा कर दिया।


माता पार्वती ने भी किया गणेश व्रत


इसके बाद भगवान शंकर ने यह व्रत विधि माता पार्वती को बताई। इसे सुनकर माता पार्वती के मन में भी अपने पुत्र कार्तिकेय से मिलने की इच्छा जागृत हुई। इसलिए उन्होंने भी 21 दिनों तक श्री गणेश का व्रत रखा और दूर्वा, फूल और लड्डू से गणेश जी की पूजा-अर्चना की।

व्रत के 21वें दिन स्वयं भगवान कार्तिकेय माता पार्वती से मिलने आ गए। तभी से यह श्री गणेश चतुर्थी व्रत समस्त मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला व्रत माना जाने लगा।

इस व्रत को करने से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर होते हैं और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।


पत राखो गौरी के लाल, हम तेरी शरण आये (Pat Rakho Gauri Ke Lal Hum Teri Sharan Aaye)

पत राखो गौरी के लाल,
हम तेरी शरण आये ॥

Chhath Puja 2025 (छठ पूजा 2025 कब है?)

भारत देश त्योहारों का देश है और यहां हर त्यौहार का अपना महत्व और पूजा विधि है। इन्हीं त्यौहारों में से एक है छठ पूजा है, जो भगवान सूर्य को समर्पित है।

बैल की सवारी करे डमरू बजाये (Bail Ki Sawari Kare Damroo Bajaye)

बैल की सवारी करे डमरू बजाये
जग के ताप हरे सुख बरसाये

मासिक शिवरात्रि पर जलाभिषेक

प्रत्येक महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है। ये दिन भगवान शिव को समर्पित होती है। इस दिन महादेव और माता पार्वती की पूजा करने का विधान है।