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सात्विक नियम पढ़ने के नियम क्या हैं

जानिए सात्विक मंत्र पढ़ने का नियम क्या है, निष्काम भक्ति के लिए जानें जाते हैं ये मंत्र 


सात्विक मंत्र साधना में शुद्धि, शांति, और उन्नति का विशेष महत्व है। इसका उद्देश्य भौतिक इच्छाओं से मुक्त होकर ईश्वर की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करना है। शास्त्रों में इन्हें जीवन में सकारात्मकता और सद्गुणों को विकसित करने के लिए अत्यंत प्रभावी माना गया है। सात्विक मंत्र जाप सही नियमों और विधियों के साथ करने से आध्यात्मिक, मानसिक और शारीरिक लाभ भी प्राप्त होते हैं। सात्विक मंत्रों के प्रभाव को अनुभव करने के लिए श्रद्धा के साथ जाप करना अत्यंत आवश्यक है। तो आइए इस लेख में विस्तार से सात्विक मंत्रों के नियम और विधि के बारे में जानते हैं। 

सात्विक मंत्रों का जाप करने के नियम  


सात्विक मंत्र जाप को प्रभावी बनाने के लिए शास्त्रों में कुछ विशेष नियमों और विधियों का उल्लेख है। इनका पालन करना आवश्यक है।

  1. शारीरिक और मानसिक शुद्धता:- मंत्र जाप से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। मन को सभी प्रकार की नकारात्मक सोच और विकारों से मुक्त रखें।
  2. स्थान का चयन:- मंत्र जाप के लिए शांत और पवित्र स्थान चुनें। प्राकृतिक परिवेश, जैसे पेड़ के नीचे, नदी के किनारे, या एकांत स्थान में मंत्र जाप करना अधिक लाभकारी होता है।
  3. आसन का महत्व:- जाप के लिए कुश के आसन का उपयोग करें, क्योंकि यह ऊष्मा का सुचालक होता है और मंत्र जाप से उत्पन्न ऊर्जा को शरीर में समाहित करता है। जाप के दौरान रीढ़ की हड्डी सीधी रखें।
  4. जाप करने की दिशा:- प्रातःकाल में पूर्व दिशा की ओर मुख करके मंत्र जाप करें। शाम के समय पश्चिम दिशा की ओर मुख करके जाप करना श्रेष्ठ माना गया है।
  5. गति और उच्चारण:- मंत्र जाप की गति समान होनी चाहिए। उच्चारण शुद्ध और स्पष्ट होना चाहिए। गलत उच्चारण से मंत्र का प्रभाव नकारात्मक हो सकता है।
  6. माला का उपयोग:- साधारण मंत्र जाप के लिए तुलसी माला का प्रयोग करें। कामना सिद्धि वाले मंत्रों के लिए चंदन या रुद्राक्ष की माला का उपयोग करें। माला को दाहिने हाथ में लेकर अंगूठे और अनामिका उंगली से पकड़ें।
  7. मंत्र जाप की अवधि:- मंत्र जाप ब्रह्म मुहूर्त में करना सर्वोत्तम है। जाप का प्रभाव महसूस करने के लिए कम से कम एक माला 108 बार जाप करें।
  8. जप की मुद्रा:- आत्मशुद्धि और मानसिक शांति के लिए अंगूठे के साथ मध्यमा उंगली का उपयोग करें। सर्व सिद्धि प्राप्ति के लिए अंगूठे और कनिष्ठा उंगली का मेल करें।

सात्विक मंत्रों की विशेषताएं


  1. आत्म-शुद्धि के लिए:- सात्विक मंत्रों का मुख्य उद्देश्य आत्मा को शुद्ध करना और साधक के मन को शांत करना है। यह मंत्र साधक को मानसिक तनाव से मुक्त करते हैं और एकाग्रता बढ़ाते हैं।
  2. निष्काम भक्ति:- इन मंत्रों का जाप किसी भौतिक लाभ की कामना के लिए नहीं किया जाता, बल्कि इनका उद्देश्य ईश्वर की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करना होता है।
  3. सद्गुणों का विकास:- सात्विक मंत्रों का जाप सत्य, करुणा, शांति, और विनम्रता जैसे सद्गुणों का विकास करता है। यह व्यक्ति को अपने जीवन में नैतिक और आध्यात्मिक रूप से उन्नत बनाता है।
  4. प्राकृतिक और सरल:- सात्विक मंत्रों का उच्चारण सरल होता है। इन्हें पढ़ने के लिए किसी जटिल विधि या तांत्रिक क्रिया की आवश्यकता नहीं होती। इनका प्रभाव प्राकृतिक रूप से साधक के मन और शरीर पर पड़ता है।

सात्विक मंत्रों के उदाहरण


1. गायत्री मंत्र

“ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।”

यह मंत्र आत्मज्ञान, मानसिक शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा के लिए सर्वोत्तम माना गया है।

2. श्री राम मंत्र

“श्री राम, जय राम, जय जय राम।”

इस मंत्र का उपयोग भगवान राम की स्तुति और उनके आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए किया जाता है।

सात्विक मंत्र जाप के लाभ


सात्विक मंत्र जाप से साधक को आत्मिक संतुष्टि और मानसिक शांति प्राप्त होती है। इन मंत्रों से उत्पन्न ध्वनि सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करती है, जो साधक के जीवन को शुद्ध और सार्थक बनाती है।
नियमित मंत्र जाप से मानसिक तनाव कम होता है और मन को स्थिरता मिलती है। यह शरीर के ऊर्जा चक्रों को भी संतुलित करता है।

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