नवीनतम लेख

वरुण देवता की पूजा विधि क्या है?

जल के देवता वरुण देव की इस विधि से करें पूजा, जल संबंधी समस्याओं से मिलेगा छुटकारा 


सनातन धर्म में वरुण देव को जल का देवता माना जाता है। ये समुद्र और नदियों के रक्षक भी माने जाते हैं। वरुण देव जलमंडल के सभी रूपों पर शासन करते हैं। वरुण को ज्ञान और विवेक का देवता भी माना जाता है। वे सत्य और असत्य में अंतर करने की क्षमता रखते हैं। पुराणों के अनुसार, वरुणदेव पश्चिम दिशा के अधिपति भी हैं। वेदों में वरुणदेव को सत्य और व्यवस्था के रक्षक के रूप में जाता है। 

वरुण देव पूरे ब्रह्मांड में व्यवस्था बनाए रखते हैं। आपको बता दें, प्राचीन समय में वरुण देव की पूजा विशेष रूप से उन क्षेत्रों में की जाती थी जो जल स्रोतों के निकट होते थे। इतना ही नहीं, वरुणदेव शपथों और वचनों के पालनकर्ता भी हैं। यदि कोई जल को साक्षी मानकर शपथ लेकर किसी कार्य को करने का वचन देता, तो वरुण देवता उसकी निगरानी करते हैं कि वह उस शपथ का पालन करता है या नहीं। 

अब ऐसे में अगर आप वरुण देव की पूजा कर रहे हैं, तो उनकी पूजा किस विधि से करने से लाभ हो सकता है। इसके बारे में ज्योतिषाचार्य त्रिपाठी जी द्वारा बताए गए जानकारी साझा कर रहे हैं। इसलिए आप इस लेख को विस्तार से पढ़ें।


वरुण देव की पूजा किस विधि से करें?


  • पूजा के लिए सही तिथि और समय - वरुण देव की पूजा विशेष रूप से पूर्णिमा या श्रावण माह में की जाती है।
  • पूजा स्थल - पूजा स्थल को साफ करें और वहां एक साफ़ आसन रखें।
  • पूजा के लिए सामग्री - जल, ताम्र पात्र या मिट्टी का दीपक, अक्षत, फूल, पंचामृत, दीपक, धूप, नारियल, फल और मिठाई आदि।
  • पूजा विधि -  वरुण देव की मूर्ति या चित्र को स्थापित करें।
  • कलश स्थापना - एक कलश में शुद्ध जल, दूध, शहद, जौ और अक्षत मिलाएं। इसे वरुणदेव के सामने स्थापित करें।
  • दीपक - सिंदूर को घी में मिलाकर दीपक जलाएं।
  • भोग - वरुण देव को गुड़ से बनी खीर का भोग लगाएं।
  • अर्पण - वरुणदेव को फूल, चंदन, रोली आदि अर्पित करें।
  • मंत्र जाप - वरुण देव की पूजा करने के दौरान मंत्रों का जाप अवश्य करें। जैसे कि ॐ वरुणाय नमः, ॐ आपः पवित्रा भव।
  • आरती - आखिर में वरुण देव की आरती करें।

पूजा के बाद कलश का जल अशोक के पत्ते से पूरे घर में छिड़कें।


वरुण देव की पूजा किस दिन करें?


अगर आप वरुणदेव की पूजा-अर्चना कर रहे हैं, तो बुधवार के दिन और पूर्णिमा तिथि पर कर सकते हैं। इसके अलावा आप अपने पंडित जी से जानकारी ले सकते हैं।


वरुण देव की पूजा करने के लाभ


जल जीवन का आधार है और वरुणदेव जल के देवता हैं। उनकी पूजा करने से व्यक्ति स्वस्थ रहता है और रोगों से मुक्ति मिलती है। वरुण देव की पूजा करने से मन शांत होता है और तनाव कम होता है। जल संबंधित समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए वरुण देव की पूजा कर सकते हैं। वरुणदेव को समुद्र के स्वामी के रूप में पूजा जाता है, जिससे व्यापार, धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है। अगर घर में जल से संबंधित कोई वास्तु दोष है तो वरुण देव की पूजा करने से इन दोषों का निवारण हो सकता है।


मेरो कान्हा गुलाब को फूल (Mero Kanha Gulab Ko Phool)

मेरो कान्हा गुलाब को फूल,
किशोरी मेरी कुसुम कली ॥

मशीनरी स्थापना की पूजा विधि

किसी भी व्यापारी के जीवन में मशीनों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। उनका पूरा व्यवसाय और रोजगार मशीनों पर निर्भर करता है। इसलिए इन मशीनों का विशेष ध्यान रखना उसकी जिम्मेदारी बन जाती है। यही कारण है कि भारत में विशेष रूप से औद्योगिक क्षेत्रों में मशीनरी पूजा को अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।

श्री राम से कह देना, एक बात अकेले में: भजन (Shri Ram Se Keh Dena Ek Baat Akele Me)

श्री राम से कह देना,
एक बात अकेले में,

महाशिवरात्रि के व्रती इन चीजों का रखें ध्यान

महाशिवरात्रि का व्रत हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।