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चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 30 मार्च 2025, रविवार से शुरू होगी। जिसमें मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा उपासना की जाती है, जो 9 दिनों तक चलेंगे। बता दें कि देवी दुर्गा को शक्ति और पराक्रम का प्रतीक माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार ग्रंथों में देवी दुर्गा के कई अवतारों के बारे वर्णन मिलता है। जिनमें 9 मां दुर्गा के स्वरूपों, 10 महाविद्याओं और 3 महादेवियों के स्वरूपों में पूजा की जाती है।
मां दुर्गा का जन्म राक्षस रंभ के पुत्र महिषासुर के वध से जुड़ा है। पुराणों के अनुसार राक्षस राजा महिषासुर ने घोर तपस्या करके भगवान ब्रह्मा को प्रसन्न किया था और उनके आशीर्वाद से इच्छानुसार भैंसे का रूप धारण कर सकता था। महिषासुर की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान ब्रह्मा ने उसे कई वरदान दिए, जिसमें यह भी शामिल था कि वह युद्ध के मैदान में किसी भी देवता या राक्षस से कभी पराजित नहीं होगा।
भगवान ब्रह्मा द्वारा दिए गए वरदान के कारण महिषासुर बहुत शक्तिशाली और अभिमानी हो गया था। अपने वरदान की शक्ति से उसने स्वर्ग पर आक्रमण किया, सभी देवताओं को पराजित किया और उस पर अधिकार कर लिया। युद्ध में भगवान शिव और भगवान विष्णु भी उसे पराजित नहीं कर सके।
बता दें कि महिषासुर की शक्ति दिन-प्रतिदिन बढ़ती गई और उसका आतंक तीनों लोकों में फैलने लगा। उसके उत्पात से सभी देवी-देवता और ऋषि-मुनि परेशान हो गए। तब भगवान शिव और विष्णु ने सभी देवताओं से परामर्श करके एक योजना बनाई जिसमें एक ऐसी शक्ति प्रकट की गई जो महिषासुर का वध कर सकती थी। तब सभी देवताओं ने मिलकर उस शक्ति को प्रकाश के रूप में प्रकट किया।
सभी देवताओं की शक्तियों को एक स्थान पर एकत्रित किया गया और उनसे एक आकृति बनाई गई। सभी देवताओं की इस शक्ति को भगवान शिव ने त्रिशूल, भगवान विष्णु ने चक्र, भगवान ब्रह्मा ने कमल का फूल, देवता वायु ने नाक और कान, पर्वतराज ने वस्त्र और सिंह दिए। माता शक्ति के बाल यमराज के तेज से, पैर के अंगूठे सूर्य के तेज से, दांत प्रजापति ने और आंखें अग्निदेव ने बनाईं। इसके अलावा सभी देवताओं ने अपने अस्त्र-शस्त्र और आभूषण दिए।
पुराणों के अनुसार देवी सभी देवताओं की शक्ति और अस्त्र प्राप्त करके प्रकट हुईं और तीनों लोकों में अजेय और अद्वितीय हो गईं। युद्ध अत्यंत भयानक और दुर्गम होने के कारण उन्हें दुर्गा कहा गया। शक्ति स्वरूपा देवी दुर्गा और महिषासुर के बीच नौ दिनों तक युद्ध हुआ, फिर नौवें दिन देवी ने महिषासुर का वध कर दिया।
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