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मध्यप्रदेश के कई मंदिर अपने चमत्कारों और सिद्धियां की वजह से तो कई मंदिर अपनी शानदार वास्तुकला और जटिल कारीगरी की वजह से विश्वभर में प्रसिद्ध हैं। ऐसे ही कुछ मंदिर मध्यप्रदेश के खजुराहो में हैं जो मुड़े हुए पत्थरों से निर्मित मंदिरों के लिए दुनिया भर में जाने जाते हैं। इनको पुरातात्विक इतिहास और स्थापत्यकला का केंद्र भी कहा जाता है। वर्तमान में खजुराहो में इस वास्तुकला के कुल 25 मंदिर हैं, लेकिन उनमें कंदरिया महादेव मंदिर का स्थान सबसे ऊंचा और सबसे भव्य माना जाता है। कंदारिया महादेव मंदिर भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और स्थापत्य विरासत का प्रमाण है। नागर और द्रविड़ मीलियों का मिश्रण, जटिल नक्काशी और मूर्तियां इसे एक वास्तुशिल्प चमत्कार बनाती है। इस मंदिर से जुड़ी कहानी भी बेहद रोचक है। कहते हैं कि महमूद गजनवी को पराजित करने के बाद महादेव के उपासक चंदेल राजा ने यह मंदिर बनवाया था। आज जानते हैं भगवान शिव के इस अलौकिक मंदिर कंदरिया महादेव मंदिर के इतिहास को विस्तार से…..
एक समय खजुराहो चंदेल राजवंश की राजधानी हुआ करता था। वहां के अधिकतर मंदिरों को चंदेल शासकों ने ही बनवाया है। खजुराहो के प्रमुख मंदिरों में कंदरिया महादेव मंदिर को गंडदेव के पुत्र सम्राट विद्याधर ने बनवाया था। माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण ईस्वी 1025 से 1050 के बीच में हुआ था। दरअसल सम्राट विद्याधर भगवान शिव के बहुत बड़े उपासक थे और उनका मानना था कि शिव कृपा से ही उन्होंने महमूद गजनवी को युद्ध में परास्त किया है जिसके बाद उन्होंने इस मंदिर का निर्माण करवाया था।
यह मंदिर अपनी स्थापत्य शैली के लिए काफी प्रसिद्ध है, इस मंदिर में नागर ओर द्रविड़ शैलियों का मिश्रण है। मंदिर में एक शिखर है जिसकी ऊंचाई 116 फीट है और इसे जटिल नक्काशी ओर मूर्तियों से सजाया गया है। मंदिर का गर्भगृह में भगवान शिव का लिंग (फालिक प्रतीक) है। मंदिर पिछले कुछ वर्षों में कई आक्रमणों और प्राकृतिक आपदाओं से बच गया है। यह मंदिर 6,500 वर्ग फुट क्षेत्र में फैला है और 117 फुट ऊंचा है। इसका मुख पूर्व दिशा की ओर है और इसने एक उत्या मंत्र है जिसके पास खड़ी सीढ़ियों से होकर पहुंचा जा सकता है। यह मंदिर 85 मंदिरों के एक पारंपरिक परिसर का हिस्सा है जिसमें हिंदू और जैन दोनों धर्म शामिल हैं। इसे पांच घटकों के साथ डिजाइन किया गया है, जो 84 छोटे प्रतिकृतियों या शिखरों के साथ एक टॉवर में समाप्त होता है, जो शिव के हिमालय पर्वत घर, कैलाश पर्वत का प्रतिनिधित्व करता है।
कंदरिया महादेव मंदिर खजुराहो के पश्चिमी मंदिर समूह का एक प्रमुख मंदिर है। यह इस समूह के सभी मंदिरों में से सबसे बड़ा मंदिर है। मंदिर शिव भगवान को समर्पित है, जिसके गर्भगृह में शिवलिंग विराजमान है। यह शिवलिंग श्वेत संगमरमर से बना है। मंदिर की दीवारों पर बहुत ही सुंदर नक्काशी की गई है। इस मंदिर को सामने से देखने से ऐसा लगता है, कि जैसे हम किसी गुफा में प्रवेश कर रहे हैं। गुफा को कंदरा भी कहते हैं, इसलिए इसका नाम कंदरिया महादेव मंदिर पड़ा। जिसका मतलब कंदरा में रहने वाले शिव है। इस मंदिर में अर्ध मंडप, मंडप, महामंडप, अंतराल और गर्भगृह हैं। गर्भ गृह के चारों ओर प्रदक्षिणा पथ भी बना है। यह मंदिर अति विकसित शैली संयुक्त मध्य भारत में बना अपनी तरह का शानदार मंदिर है। मंदिर ऊंची जगह पर निर्मित है। जिसमें दो तोरण देखने के लिए मिलते हैं। ये मुख्य प्रवेश द्वार और मंडप पर लगे हैं। मंदिर की दीवारों पर भी कारीगरी की गई है। मंदिर में एक सुंदर शिखर भी देखने को मिलता है।
एक ऊंचे चबूतरे पर बने कंदरिया महादेव मंदिर तक जाने के लिए सीड़िया बनी हुई हैं। मंदिर के अंदर जाते ही मंदिर का तोरण देखने के लिए मिलता है जो बहुत ही खूबसूरत और एक ही पत्थर का बना हुआ है। तोरण को शुभ आगमन के प्रतीक के रूप में लगाया जाता है। मंदिर में थोड़ा आगे जाने पर छत में फूलों की नक्काशी देखने के लिए मिलती है, जो बहुत ही आकर्षक लगती है। मंदिर के मंडप पर भी तोरण बना हुआ है, जो प्रवेश द्वार वाले तोरण से छोटा है। अंदर जाते हैं तो एक चबूतरा बना नजर आता है। इसके चारों कोने पर खंबे हैं। इस चबूतरे को अंतराल कहते हैं। प्राचीन समय में यहीं बैठकर पूजा-पाठ किया जाता था।
खंभों के ऊपर भी सुंदर नक्काशी देखने को मिलती है। यहां के डिजाइन लक्ष्मण मंदिर के डिजाइन से कुछ अलग हैं। गर्भ गृह जहां शिवलिंग स्थापित है, के प्रवेश द्वार पर देवी-देवताओं की नक्काशी की गई है, जो बहुत ही खूबसूरत है। मंदिर में कोने में आले बनाए गए हैं, जिनमें देवी-देवताओं की प्रतिमाएं बनाई गई हैं। इनमें से बहुत-सी प्रतिमाएं खंडित अवस्था में यहां मौजूद हैं। गर्भ गृह में परिक्रमा करने के लिए परिक्रमा पथ बनाया गया है। यह पथ बाहर के मंदिर और गर्भ गृह को अलग करता है। इस पथ में भी आपको बहुत सारी मूर्तियां देखने को मिलती हैं जो बहुत ही आकर्षक हैं। मंदिर के अंदर घूमने के बाद मंदिर के बाहर आकर वहां बनी मूर्ति कला को देखना भी मोहित कर लेता है।
कंदरिया महादेव मंदिर की मूर्तिकला बहुत ही अद्भुत है जहां आपको ढेरों मूर्तियां देखने के लिए मिलती हैं। इस मंदिर में बड़ी मूर्तियों की 3 पंक्तियां बनी हुई हैं। यहां आपको नीचे की ओर बेल-बूटे तथा हाथी की प्रतिमा नजर आती है। उसके ऊपर आपको एक पतली-सी पट्टी देखने को मिलती है, जिसमें दैनिक जीवन में किए जाने वाले कार्यों को दिखाया गया है। उसके बाद आपको मुख्य मूर्तियां नजर आती हैं जो काफी बड़ी और खूबसूरत हैं। खास बात है कि हर मूर्ति आपको कुछ न कुछ बताती है। कंदरिया महादेव मंदिर में भी सभी मंदिरों के समान ही पहले गणेश जी की मूर्ति बनी हुई है। उसके बाद सुंदरियों और देवदासियों की प्रतिमाएं बनी हैं। इसमें सुंदरियों की प्रतिमाएं अलग-अलग मुद्राओं में बनी हैं। यहां आपको अनेक कामुक प्रतिमाएं भी दिख जाती हैं। इस तरह की प्रतिमाएं भी 3 पंक्तियों में बनाई गई हैं। इनके अलावा यहां नागकन्या की मूर्तियां भी हैं जो दीवार के कोने में हाथ जोड़कर खड़ी हुई हैं। साथ ही चंदेल राजवंश का चिन्ह भी यहां की दीवारों पर उकेरे गए हैं।
सड़क मार्ग से नई दिल्ली से खजुराहो की दूरी करीब 659 किमी है।
फ्लाइट: अगर आप हवाई मार्ग से खजुराहो आने का प्लान बना रहे हैं तो सबसे निकटतम खजुराहो एयरपोर्ट है। खजुराहो शहर से एयरपोर्ट लगभग 5 किमी. की दूरी पर है। हवाई अड्डे से खजुराहो कैब बुक करके या फिर आप बस से आ सकते हैं।
ट्रेन: यदि आप रेल मार्ग से खजुराहो आना चाहते हैं तो सबसे नजदीक में खजुराहो रेलवे स्टेशन है। स्टेशन शहर से कुछ किमी. की दूरी पर है। रेलवे स्टेशन पर आपको ऑटो मिल जाएगी।
सड़क मार्ग: अगर आप सड़क मार्ग से खजुराहो आना चाहते हैं तो झांसी और पन्ना से खजुराहो के लिए बस आराम से मिल जाएगी। अगर आप खुद की गाड़ी से आ रहे हैं तो खजुराहो की यात्रा शानदार रहेगी।
कंदरिया महादेव मंदिर में दैनिक पूजा कार्यक्रम होता है जो सुबह जल्दी शुरू होता है। पूजा अनुष्ठान मंदिर के पुजारियों द्वारा किया जाता है और यह सभी आगंतुकों के लिए खुला है। दैनिक कार्यक्रम में अभिषेकम, रुद्राभिषेकम ओर आरती जैसे कई अनुष्ठान शामिल है। अभिषेकम अनुष्ठान में शिवलिंग पर पवित्र जल, दूध और अन्य प्रसाद चढ़ाना शामिल है। रुद्राभिषेकम एक विशेष पूजा है जो भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए की जाती है। आरती समारोह एक अनुष्ठान है जिसमें देवता के सामने दीपक लहराए जाते है। इसका उद्देश्य नकारात्मक उर्जा को दूर करना और समृद्धि को बढ़ावा देना है। आगंतुक मंदिर के पुजारियों को मामूली शुल्क देकर पूजा अनुष्ठान में भाग ले सकते हैं। पूजा समारोह को अत्यधिक शुभ माना जाता है और माना जाता है कि यह उपासकों के लिए सोभाग्य और समृद्धि लाता है।
मंदिर में दर्शन के दौरान आगंतुकों को कुछ नियमों का पालन करना आवश्यक है। मंदिर परिसर के अंदर फोटो लेना वर्जित है। मंदिर में प्रवेश का समय सुबह 05 बजे से अपराह्न 12:00 बजे तक और शाम 04 बजे से रात्रि 09:00 बजे तक
साथ ही मंदिर में एक प्रवेश शुल्क भी निश्चिक किया गया है जो भारतीयों के लिए 10 रूपए प्रति व्यक्ति और विदेशियों के लिए 500 रुपए प्रति व्यक्ति का है। इस मंदिर में 15 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए निशुल्क प्रवेश दिया जाता है।
खजुराहो घूमने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च के बीच सर्दियों के दौरान होता है। अगर आप सांस्कृतिक रूप से रुचि रखते हैं तो आपको वार्षिक खजुराहो नृत्य महोत्सव के दौरान खजुराहो की अपनी यात्रा की योजना बनानी चाहिए। सप्ताह भर चलने वाला शास्त्रीय नृत्य महोत्सव हर फरवरी में आयोजित किया जाता है। भारतीय शास्त्रीय नृत्य रूपों का यह उत्सव, अगर आप उत्साही हैं या प्राचीन मंदिर की पृष्ठभूमि में सांस्कृतिक प्रदर्शनों के सौंदर्य की सराहना करना चाहते हैं तो आपको अवश्य जाना चाहिए।
खजुराहो मंदिर में लाइट एंड साउंड शो का आयोजन मध्य प्रदेश पर्यटन विभाग द्वारा किया जाता है। दो शो दो भाषाओं में उपलब्ध हैं: अंग्रेजी और हिंदी। और इन शो के लिए खजुराहो मंदिर का समय सर्दियों और गर्मियों के लिए अलग-अलग है। सर्दियों का समय शाम 6.30 बजे से शाम 7.25 बजे तक है जो अक्टूबर से फरवरी तक रहता है। मार्च से सितंबर तक गर्मियों का समय शाम 7.30 बजे से 8.25 बजे के बीच है। भारतीय आगंतुकों के लिए प्रवेश शुल्क 250 रुपये है जबकि विदेशियों को 700 रुपये का भुगतान करना पड़ता है। 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए कोई प्रवेश टिकट नहीं है। लाइट एंड साउंड शो का गेट और टिकट काउंटर मंदिर परिसर के मुख्य प्रवेश द्वार से अलग हैं। खजुराहो मंदिर लाइट एंड साउंड शो के प्रवेश टिकट पहले से बुक नहीं किए जा सकते।
खजुराहों एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है और इसमें कई अन्य आकर्षण है जो देखने लायक है। कंदरिया महादेव मंदिर के पास कुछ लोकप्रिय पर्यटक आकर्षणों में लक्ष्मण मंदिर, चौसठ योगिनी मंदिर और कंदरिया कला और सांस्कृतिक केंद्र शामिल है।
1. लक्ष्मण मंदिर खजुराहो स्मारक समुद्र में एक और प्रसिद्ध मंदिर है। यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है और अपनी आश्चर्यजनक नक्काशी और मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध है।
2. चौसठ योगिनी मंदिर एक सदियों पुराना पूजा स्थल है जो देवी काली को समर्पित है। मंदिर एक पहाड़ी के ऊपर स्थित है और आस-पास के क्षेत्र का व्यापक दृश्य प्रदान करता है।
3. कंदरिया कला और सांस्कृतिक केंद्र एक संग्रहालय है जो क्षेत्र की कता ओर संस्कृति को प्रदर्शित करता है। संग्रहालय में 10वीं शताब्दी की पेंटिंग, मूर्तियां और कलाकृतियां मौजूद है।
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