यदि नाथ का नाम दयानिधि है (Yadi Nath Ka Naam Dayanidhi Hai)

यदि नाथ का नाम दयानिधि है,

तो दया भी करेंगे कभी ना कभी,

दुखहारी हरी, दुखिया जन के,

दुख क्लेश हरेगें कभी ना कभी ॥


जिस अंग की शोभा सुहावनी है,

जिस श्यामल रंग में मोहनी है,

उस रूप सुधा से स्नेहियों के,

दृग प्याले भरेगें कभी ना कभी ॥


जहां गिद्ध निषाद का आदर है,

जहाँ व्याध अजामिल का घर है,

वही भेष बनाके उसी घर में,

हम जा ठहरेगें कभी ना कभी ॥


करुणानिधि नाम सुनाया जिन्हें,

कर्णामृत पान कराया जिन्हें,

सरकार अदालत में ये गवाह,

सभी गुजरेगें कभी ना कभी ॥


हम द्वार में आपके आके पड़े,

मुद्दत से इसी है जिद पर अड़े,

भव-सिंधु तरे जो बड़े से बड़े,

तो ये ‘बिन्दु’ तरेगें कभी ना कभी ॥


यदि नाथ का नाम दयानिधि है,

तो दया भी करेंगे कभी ना कभी,

दुखहारी हरी, दुखिया जन के,

दुख क्लेश हरेगें कभी ना कभी ॥

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सनातन धर्म में चतुर्थी तिथि का विशेष महत्व होता है, क्योंकि यह दिन भगवान गणेश को समर्पित होता है। इस दिन भक्त भगवान गणेश की आराधना कर सुख-समृद्धि और सफलता की कामना करते हैं। संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने से सभी बाधाएं दूर होती हैं और जीवन में शुभ फल प्राप्त होते हैं।

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