यह तो प्रेम की बात है उधो (Ye Too Prem Ki Baat Hai Udho)

यह तो प्रेम की बात है उधो,

बंदगी तेरे बस की नहीं है।

यहाँ सर देके होते सौदे,

आशकी इतनी सस्ती नहीं है॥


प्रेम वालों ने कब वक्त पूछा,

उनकी पूजा में सुन ले ए उधो।

यहाँ दम दम में होती है पूजा,

सर झुकाने की फुर्सत नहीं है॥

॥ यह तो प्रेम की बात है उधो...॥


जो असल में हैं मस्ती में डूबे,

उन्हें क्या परवाह ज़िन्दगी की।

जो उतरती है चढ़ती है मस्ती,

वो हकीकत में मस्ती नहीं है॥

॥ यह तो प्रेम की बात है उधो...॥


जिसकी नजरो में है श्याम प्यारे,

वो तो रहते हैं जग से न्यारे।

जिसकी नज़रों में मोहन समाये,

वो नज़र फिर तरसती नहीं है॥

॥ यह तो प्रेम की बात है उधो...॥


यह तो प्रेम की बात है उधो,

बंदगी तेरे बस की नहीं है।

यहाँ सर देके होते सौदे,

आशकी इतनी सस्ती नहीं है॥

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ओ सांवरे दाता मेरे, तेरा शुक्रिया है (O Sanware Data Mere Tera Shukriya Hai)

मुझे जो भी कुछ मिला है,
तुमने ही सब दिया है,

क्यों मनाई जाती है गोपाष्टमी, जानिए पूजा विधि

गोपाष्टमी एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जो भगवान कृष्ण के गौ-पालन और लीलाओं की याद दिलाता हैं। गोपाष्टमी दो शब्दों से मिलकर बना है, जिसमें गोप का अर्थ है "गायों का पालन करने वाला" या "गोपाल" और अष्टमी का अर्थ हैं अष्टमी तिथि या आठवां दिन।

मकर संक्रांति पर अद्भुत संयोग

मकर संक्रांति के साथ ही खरमास का समापन होता है। जो इसे और भी शुभ बनाता है। इस दिन मांगलिक कार्य, निवेश और खरीदारी के लिए समय अनुकूल है।

गजमुखं द्विभुजं देवा लम्बोदरं (Gajmukham Dvibhujam Deva Lambodaram)

गजमुखं द्विभुजं देवा लम्बोदरं,
भालचंद्रं देवा देव गौरीशुतं ॥

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