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भगवान शिव के रुद्राभिषेक से लेकर साधारण पूजा तक उनको अर्पित की जाने वाली प्रत्येक सामग्री का विशेष ध्यान रखा जाता है। शास्त्रों में शिव को अर्पित होने वाली प्रत्येक सामग्री का महत्व बताया गया है। सामग्रियों में बेलपत्र, धतूरा, बेर, कच्चा दूध, फल शामिल किए जाते हैं। इन सामग्रियों को शिवलिंग पर चढ़ने की प्रथा है। इन सभी सामग्रियों में से कच्चे दूध को शिवलिंग पर अर्पित करना बहुत ही शुभ माना जाता है। क्योंकि, कच्चा दूध सकारात्मक ऊर्जा का एक अच्छा संवाहक है। तो चलिए जानते हैं शिवलिंग पर कच्चा दूध चढ़ाने के पीछे का महत्व क्या है।
भागवत पुराण और विष्णु पुराण में वर्णित है कि समुंद्र मंथन से निकले विनाशकारी कालकूट विष से सृष्टि को बचाने के लिए भगवान शिव ने उस विष को अपने गले में धारण किया था। जिसके कारण भगवान शिव और उनकी जटा में बैठी गंगा मैया को बहुत अधिक पीड़ा हुई। तब इस विष के असर को खत्म करने के लिए देवताओं ने भोलेनाथ से कच्चा दूध पीने की विनती की। कच्चा दूध पीते ही भोलेनाथ के शरीर से विष का असर खत्म होने लगा, लेकिन विष पीने के कारण भगवान शिव के गले का रंग नीला हो गया और भोलेनाथ नीलकंठ कहलाए। तभी से शिवलिंग पर कच्चा दूध चढ़ाएं जाने की परंपरा शुरू हुई।
शिवलिंग पर कच्चा और ठंडा दूध ही चढ़ाना चाहिए। गाय के कच्चे दूध से शिवलिंग का अभिषेक करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं जल्दी पूरी होती है। शिवलिंग पर साफ और शुद्ध दूध चढ़ाना चाहिए। कभी भी उबला हुआ दूध या उबले हुए दूध को ठंडा कर के नहीं चढ़ाना चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति के जीवन में परेशानियां आती है।
वैसे तो भगवान शिव की विधिवत पूजा करनी चाहिए, मगर वैसा नहीं कर पा रहे हैं तो सिर्फ जलाभिषेक या दुग्धाभिषेक से भी महादेव भक्त की भावना को स्वीकार कर लेते हैं। भगवान शिव को शीतल वस्तुएं प्रिय हैं, कच्चा दूध भी शीतलता प्रदान करता है। इसके अलावा दूध का संबंध चंद्रमा से है, चंद्रमा शिवजी के मस्तक पर विराजमान होते हैं। इस कारण शिवजी को दूध अर्पित करने से चंद्रदोष दूर होता है।
भगवान शिव की पूजा में कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। विशेष रूप से भगवान शिव को दूध अर्पित करते समय ख्याल रखना चाहिए कि वो व्यर्थ न हो और बेहतर है दूध को पात्र समेत ही अर्पित कर दें ताकि कोई और इसका प्रयोग कर सके। साथ ही दूध चढ़ाते समय इसका ध्यान रखना चाहिए।
नमः शंभवाय च मयोभवाय च नमः शंकराय च मयस्कराय च नमः शिवाय च शिवतराय च।।ईशानः सर्वविध्यानामीश्वरः सर्वभूतानां ब्रम्हाधिपतिर्ब्रम्हणोधपतिर्ब्रम्हा शिवो मे अस्तु सदाशिवोम।। तत्पुरषाय विद्म्हे महादेवाय धीमहि। तन्नो रुद्रः प्रचोदयात।।
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