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पितृपक्ष भारतीय परंपरा में पूर्वजों के प्रति आदर और श्रद्धा व्यक्त करने का समय होता है। भाद्रपद माह की पूर्णिमा से शुरू होकर अश्विन माह की अमावस्या तक चलने वाले इस 15 दिन के दौरान लोग तर्पण, श्राद्ध, और पिंडदान जैसे धार्मिक कार्य करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इन कार्यों से हमारे पितृ यानी पूर्वज खुश होते हैं और उनके आशीर्वाद से जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। लेकिन अगर पितृ नाराज हो जाएं, तो जीवन में कई तरह की समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। आइए जानते हैं कि पितरों के नाराज होने पर कौन-कौन से संकेत मिलते हैं और इससे जीवन में किस प्रकार की परेशानियां आती हैं।
1. कार्य में रुकावट आना: अगर पितृ नाराज हैं, तो आपके किए हुए काम में बार-बार रुकावटें आ सकती हैं। कोई भी कार्य बिना बाधा के संपन्न नहीं होता। चाहे आप कितना भी प्रयास कर लें, आपके हर काम में कोई न कोई समस्या खड़ी हो जाती है। इसे पितृदोष का प्रमुख लक्षण माना जाता है।
2. घर में रोज-रोज के झगड़े: थोड़ी-बहुत खटपट हर घर में हो सकती है, लेकिन अगर आपके घर में लगातार कलह का माहौल बना रहता है, तो यह भी पितरों की नाराजगी का संकेत हो सकता है। लगातार गृहकलह होना परिवार की सुख-शांति छीन लेता है और यह पितृदोष का स्पष्ट संकेत होता है।
3. संतान प्राप्ति में बाधा: पितरों की नाराजगी के कारण संतान प्राप्ति में समस्या हो सकती है। संतान न होने या गर्भधारण में बाधाएं आना भी पितृदोष का एक लक्षण माना जाता है। इसलिए पितृदोष से बचने के लिए श्राद्ध और पिंडदान करना अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।
4. विवाह में विलंब और वैवाहिक जीवन में अस्थिरता: ऐसी मान्यता है कि यदि पितृ नाराज होते हैं, तो परिवार के किसी भी सदस्य का विवाह समय पर नहीं होता। यदि विवाह हो भी जाता है, तो वैवाहिक जीवन अस्थिर और समस्याओं से भरा रहता है। पति-पत्नी के बीच लगातार तनाव बना रहता है।
5. रुपए की बर्बादी: पितृदोष के कारण अक्सर व्यक्ति को आकस्मिक धन हानि या दुर्घटना का सामना करना पड़ता है। आपके मेहनत से कमाए पैसे जेलखाने या दवाखाने में बर्बाद हो जाते हैं। अचानक किसी बड़ी बीमारी का खर्च या कानूनी मामले में फंसने की स्थिति भी पितृदोष का संकेत हो सकता है।
6. मांगलिक कार्यों में बाधा: पितरों की नाराजगी के कारण परिवार में मांगलिक कार्यों में लगातार बाधाएं उत्पन्न हो सकती हैं। शादी, गृहप्रवेश, या किसी अन्य शुभ कार्य में अचानक कोई अड़चन आ जाती है। यह भी पितृदोष का ही एक लक्षण होता है।
7. संतान का पढ़ाई में मन न लगना: अगर आपके घर के बच्चे पढ़ाई में ठीक से ध्यान नहीं दे पा रहे हैं, उनकी रुचि कम हो रही है, तो यह भी पितृदोष का संकेत हो सकता है। पितरों की नाराजगी का असर बच्चों के भविष्य पर पड़ सकता है।
8. श्राद्ध के दौरान ब्राह्मणों द्वारा भोजन अस्वीकार करना: श्राद्ध पक्ष में यदि आप ब्राह्मणों को भोजन करवाने का प्रयास करते हैं, लेकिन वे किसी कारणवश भोजन करने से मना कर देते हैं, तो इसे भी पितृदोष का एक गंभीर संकेत माना जाता है। इसका अर्थ होता है कि पितृ आपसे प्रसन्न नहीं हैं।
9. घर में बरकत न होना: पितृदोष का एक अन्य प्रमुख लक्षण यह है कि घर में कभी भी बरकत नहीं होती। चाहे कितनी भी मेहनत कर लें, घर में सुख-समृद्धि नहीं आती। आर्थिक समस्याएं बनी रहती हैं, और परिवार में सदैव तंगी का माहौल रहता है।
पंडितों की माने तो पितरों को प्रसन्न करने के लिए पितृपक्ष के दौरान विधिपूर्वक तर्पण, श्राद्ध, और पिंडदान करना चाहिए। इस दौरान जरूरतमंदों को भोजन कराना और दान देना भी अत्यंत फलदायी माना जाता है। इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है, और उनका आशीर्वाद आपके जीवन में खुशहाली लाता है। अतः पितृदोष से बचने के लिए और जीवन में सुख-शांति बनाए रखने के लिए अपने पितरों को नियमित रूप से याद करें और पितृपक्ष के दौरान विशेष रूप से उनके लिए श्राद्ध और तर्पण करें।
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