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आओ गजानंद प्यारा, बेगा पधारो गणपति जी,
बुहा खोल के माये, जरा तक ते ले,
बृन्दावन का कृष्ण कन्हैया सब की आँखों का तारा
बृज के नंदलाला राधा के सांवरिया, सभी दुःख दूर हुए, जब तेरा नाम लिया ।
ब्रजराज ब्रजबिहारी, गोपाल बंसीवारे इतनी विनय हमारी, वृन्दा-विपिन बसा ले
वैदिक काल से राष्ट्र या देश के लिए गाई जाने वाली राष्ट्रोत्थान प्रार्थना है। इस काव्य को वैदिक राष्ट्रगान भी कहा जा सकता है। आज भी यह प्रार्थना भारत के विभिन्न गुरुकुलों व स्कूल मे गाई जाती है।
बोलो राम, जय जय राम, बोलो राम जन्म सफल होगा बन्दे,
ऊँचे ऊँचे भवनों बैठी रुप अनेकों धारे, चरण चाकरी कर लो भैया,
आग बहे तेरी रग में तुझसा कहाँ कोई जग में
गौरी के लाड़ले, महिमा तेरी महान,