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बृन्दावन का कृष्ण कन्हैया (Brindavan Ka Krishan Kanhaiya Sabki Aankhon Ka Tara)

बृन्दावन का कृष्ण कन्हैया
सब की आँखों का तारा
मन ही मन क्यों जले राधिका
मोहन तो है सब का प्यारा
॥ बृन्दावन का कृष्ण कन्हैया..॥

जमना तट पर नन्द का लाला
जब जब रास रचाये रे
तन मन डोले कान्हा ऐसी
बंसी मधुर बजाये रे
सुध-बुध भूली खड़ी गोपियाँ
जाने कैसा जादू डारा
॥ बृन्दावन का कृष्ण कन्हैया..॥

रंग सलोना ऐसा जैसे
छाई हो घट सावन की
ऐ री मैं तो हुई दीवानी
मनमोहन मन भावन की
तेरे कारण देख बाँवरे
छोड़ दिया मैं ने जग सारा

बृन्दावन का कृष्ण कन्हैया
सब की आँखों का तारा
मन ही मन क्यों जले राधिका
मोहन तो है सब का प्यारा
विनती सुनलो मेरे गणराज (Vinti Sun Lo Mere Ganraj)

विनती सुनलो मेरे गणराज आज भक्ति क़ा फल दीजिये,
पहले तुमको मनाता हूँ मै देवा कीर्तन सफल कीजिए ॥

गौरी के पुत्र गणेंश जी, मेरे घर में पधारो (Gauri Ke Putra Ganesh Ji Mere Ghar Mein Padharo)

गौरी के पुत्र गणेश जी,
मेरे घर में पधारो ॥

भगवान हनुमान जी की पूजा विधि

हनुमान जी की पूजा में विशेष मंत्रों और नियमों का पालन करना अत्यंत शुभ माना जाता है। पूजन की शुरुआत गणपति वंदना से होती है, जिसके बाद हनुमान जी को स्नान, वस्त्र, आभूषण, सिंदूर, धूप-दीप और प्रसाद अर्पित किया जाता है।

अग्नि देवता की पूजा विधि क्या है?

सनातन धर्म में अग्नि देवता को देवताओं का मुख माना जाता है। वे देवताओं और मनुष्यों के बीच एक संदेशवाहक भी माने जाते हैं। अग्नि देवता यज्ञों के देवता भी हैं।

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