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गजानंद आनंद करो, दो सुख सम्पति में शीश,
गौरी के लाला हो, मेरे घर आ जाना,
गौरी के लाल तुमको, सादर नमन हमारा,
गौरी के लाल सुनो,
गजमुखं द्विभुजं देवा लम्बोदरं, भालचंद्रं देवा देव गौरीशुतं ॥
जमुना के तट पर, मारी नजरिया ऐसी सांवरिया ने,
गजानंद वंदन करते है ॥ आज सभा में स्वागत है,
ओ गणनायक महाराज सुमिरा जोडू दोनों हाथ, ओ गणनायक महाराज,
प्रथम मनाये गणेश के, ध्याऊ शारदा मात, मात पिता गुरु प्रभु चरण मे, नित्य नमाऊ माथ॥
गजानंद जी ने, ल्यावो रे मनाय,