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गौरी के लाल सुनो (Gauri Ke Lal Suno)

गौरी के लाल सुनो,

की कबसे तुझे याद करे,

कीर्तन में आ जाओ,

हाय कीर्तन में आ जाओ,

ये तुमसे फरियाद करे,

गौरी के लाल सुनो,

की कबसे तुझे याद करे ॥


तुझको मनाऊँ देवा,

कबसे बुलाऊँ,

अपनी पलके बिछाऊँ,

अब तो आजा,

गिरिजा के प्यारे,

बाबा शिव के दुलारे,

आजा तुझको

पुकारे गणराजा,

तुम बिन कौन बता,

जो आके पुरे काज करे,

गौरी के लाल सुनों,

की कबसे तुझे याद करे ॥


किरपा दिखा दे,

सारे विघ्न हटा दे,

हमको दर्शन दिखा दे,

मेरे दाता,

आँगन बुहारूँ,

तेरा रस्ता निहारूँ,

तोसे अर्जी गुजारु,

ओ विधाता,

दूजा ना तेरे सिवा,

जो सर पे मेरे हाथ धरे,

गौरी के लाल सुनों,

की कबसे तुझे याद करे ॥


घर को सजा के,

देवा आँगन महका के,

तेरी ज्योत जगा के,

हम बुलाएँ,

नारियल चढ़ा के,

तेरे भोग लगा के,

तेरी महिमा को,

गाके हम सुनाए,

‘हर्ष’ ना देरी करो,

विनती ये तेरा दास करे,

गौरी के लाल सुनों,

की कबसे तुझे याद करे ॥


गौरी के लाल सुनो,

की कबसे तुझे याद करे,

कीर्तन में आ जाओ,

हाय कीर्तन में आ जाओ,

ये तुमसे फरियाद करे,

गौरी के लाल सुनो,

की कबसे तुझे याद करे ॥

बड़ा है दयालु भोले नाथ डमरू वाला (Bada Hai Dayalu Bhole Nath Damaru Wala)

बड़ा है दयालु भोले नाथ डमरू वाला,
जिनके गले में विषधर काला,

काली काली अलको के फंदे क्यूँ डाले - भजन (Kali Kali Alko Ke Fande Kyun Dale)

काली काली अलको के फंदे क्यूँ डाले,
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भीष्म अष्टमी की कथा-महत्व

पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाभारत के युद्ध में गंभीर रूप से घायल होने के बाद भी भीष्म पितामह ने अपने इच्छामृत्यु के वरदान के कारण तत्काल देह त्याग नहीं किया।

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