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गजमुखं द्विभुजं देवा लम्बोदरं (Gajmukham Dvibhujam Deva Lambodaram)

गजमुखं द्विभुजं देवा लम्बोदरं,

भालचंद्रं देवा देव गौरीशुतं ॥


कौन कहते है गणराज आते नही,

भाव भक्ति से उनको बुलाते नही ॥


कौन कहते है गणराज खाते नही,

भोग मोदक का तुम खिलाते नही ॥


कौन कहते है गणराज सोते नही,

माता गौरा के जैसे सुलाते नही ॥


कौन कहते है गणराज नाचते नही,

रिद्धि सिद्धि के जैसे नचाते नही ॥


गजमुखं द्विभुजं देवा लम्बोदरं,

भालचंद्रं देवा देव गौरीशुतं ॥

हे गोविन्द हे गोपाल अब तो जीवन हारे(He Govind He Gopal Ab To Jeevan Hare)

हे गोविन्द हे गोपाल अब तो जीवन हारे ।
अब तो जीवन हारे, प्रभु शरण हैं तिहारे ॥

पार होगा वही, जिसे पकड़ोगे राम (Paar Hoga Wahi Jise Pakdoge Ram)

पार होगा वही,
जिसे पकड़ोगे राम,

उगादि 2025 कब मनाई जाएगी

हिंदू पंचांग के अनुसार, उगादि पर्व चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है। इसे हिन्दू नववर्ष का पहला दिन माना जाता है। इसलिए इसकी तिथि और मुहूर्त जानना बहुत जरूरी होता है।

उत्पन्ना एकादशी पर एकाक्षी नारियल अर्पण

उत्पन्ना एकादशी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो भगवान विष्णु और एकादशी माता की पूजा के लिए विशेष माना जाता है।

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