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ज्ञान का दान ही, सबसे बड़ा हैं जिसे कोई न लूटे
बाबा थारी मोरछड़ी, घूमे करे कमाल ।
मैं शरण पड़ा तेरी चरणों में जगह देना, गुरुदेव दया करके मुझको अपना लेना ।
गुरु शिव को बना लीजिए, भक्ति से घर सजा लीजिये ॥
गुरु मेरी पूजा गुरु गोबिंद गुरु मेरा पारब्रह्म, गुरु भगवंत
गुरु बिन घोर अँधेरा संतो, गुरु बिन घोर अँधेरा जी ।
गुणवान मेरे गणपति बुद्धि के है दाता है मेरे दाता सबके दाता भाग्यविधाता ।
करलो तैयारी स्वागत की, गोविंदा आने वाला है,
घनश्याम तुम्हारे मंदिर में, मैं तुम्हे रिझाने आई हूँ,
घनश्याम तुम ना आये, जीवन ये बीता जाये ॥