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चाहे राम भजो चाहे श्याम, नाम दोनों हितकारी है,
कबीरा जब हम पैदा हुए, जग हँसे हम रोये,
बूटी ले आओ हनुमान प्यारे, मेरे लक्ष्मण के प्राण बचाना,
हरि का भजन करो, हरि है तुम्हारा,
हरि जी! मेरी लागी लगन मत तोडना, लाला* जी! मेरी लागी लगन मत तोडना,
हरि हरि, हरि हरि, सुमिरन करो, हरि चरणारविन्द उर धरो
हरी हरी भांग का मजा लीजिये, सावन में शिव की बूटी पिया कीजिये,
गौरा ने घोट कर, पीस कर छान कर,
गौरा ढूंढ रही पर्वत पर, शिव को पति बनाने को,
जयति तेऽधिकं जन्मना व्रजः श्रयत इन्दिरा शश्वदत्र हि ।