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गौरा ने घोट कर, पीस कर छान कर(Gora Ne Ghot Kar Piskar Chhankar)

गौरा ने घोट कर,

पीस कर छान कर,

शिव को भंगिया पिलाई,

मजा आ गया,

छोड़ कैलाश को,

पहुंचे शमशान में,

गांजे की दम लगायी,

मजा आ गया ॥


जब नशा भांग,

गांजे का चढ़ने लगा,

भोला नचने लगे,

डमरू बजने लगा,

जल चुकी थी चिताएं,

जो शमशान में,

उनकी भस्मी रमाई,

मजा आ गया ॥


बदी फागुन चतुर्दश,

तिथी आई है,

शिव से गौरा मिलन,

की घड़ी आई है,

शिवजी दूल्हा बने,

गौरा दुल्हन बनी,

ऐसी शादी रचाई,

मजा आ गया ॥


भोला धनवान है,

न तो कंगाल है,

शिव महादेव हैं,

शिव महाकाल है,

शिव के चरणों में हम,

आ गये हैं पदम्,

राह मुक्ति की पाई,

मजा आ गया ॥


गौरा ने घोट कर,

पीस कर छान कर,

शिव को भंगिया पिलाई,

मजा आ गया,

छोड़ कैलाश को,

पहुंचे शमशान में,

गांजे की दम लगायी,

मजा आ गया ॥

जेल में प्रकटे कृष्ण कन्हैया (Jail Main Prakate Krishn Kanhaiya)

जेल में प्रकटे कृष्ण कन्हैया,
सबको बहुत बधाई है,

उत्पन्ना एकादशी का चालीसा

उत्पन्ना एकादशी सनातन धर्म में एक महत्वपूर्ण तिथि है, जो भगवान विष्णु की पूजा के लिए समर्पित है। वैसे तो हर माह में दो एकादशी आती है, लेकिन उत्पन्ना एकादशी का महत्व इसलिए बढ़ जाता है क्योंकि इस दिन मां एकादशी का जन्म हुआ था।

हमने आँगन नहीं बुहारा (Hamne Aangan Nahi Buhara, Kaise Ayenge Bhagwan)

हमने आँगन नहीं बुहारा,
कैसे आयेंगे भगवान् ।

छोटो सो बंदर हद करिग्यो (Chhoto So Bander Had Karigyo)

छोटो सो बंदर हद करिग्यो
सावामणि का लड्डू सारा चट करिगयो ॥

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