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भजमन शंकर भोलेनाथ, डमरू मधुर बजाने वाले,
चली जा रही है उमर धीरे धीरे, पल पल यूँ आठों पहर धीरे धीरे,
चली चली रे, चली चली रे,
लाल लंगोटा हाथ में सोटा, चले पवन की चाल,
भोला तन पे भस्म लगाये, मन में गौरा को बसाये,
चला फुलारी फूलों को सौदा-सौदा फूल बिरौला
चाहे छाए हो बादल काले, चाहे पाँव में पड़ जाय छाले,
जय हो बैजनाथ जय हो भोले भंडारी
चल चला चल ओ भगता, चल चला चल ॥
चाहे सुख हो दुःख हो, एक ही नाम बोलो जी,