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सखी हरिद्वार जाउंगी, हरिद्वार जाउंगी,
हरि तुम हरो जन की भीर। द्रोपदी की लाज राखी, तुम बढ़ायो चीर॥
हरि सुंदर नंद मुकुंदा, हरि नारायण हरि ॐ
हरी सिर धरे मुकुट खेले होरी कहाँ से आयो कुँवर कन्हैया
हरी नाम सुमिर सुखधाम, हरी नाम सुमिर सुखधाम
हाथी घोड़ा पालकी,जय कन्हैया लाल की ॥ आनंद उमंग भयो जय कन्हैया लाल की,
हरि नाम नहीं तो जीना क्या अमृत है हरि नाम जगत में,
हरि नाम के रस को पी पीकर, आनंद में जीना सीख लिया,
हारे के सहारे खाटू श्याम जी, बिगड़े बना दो आज काम जी,
भजो रे भैया, राम गोविंद हरि,