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हरिद्वार जाउंगी, सखी ना लौट के आऊँगी(Haridwar Jaungi Sakhi Na Laut Ke Aaungi)

सखी हरिद्वार जाउंगी,

हरिद्वार जाउंगी,

सखी ना लौट के आऊँगी,

मेरे उठे विरह में पीर,

सखी हरिद्वार जाउंगी ॥


छोड़ दिया मैंने भोजन पानी,

भोले तेरी याद में,

छोड़ दिया मैंने भोजन पानी,

भोले तेरी याद में,

मेरे नैनन बरसे नीर,

सखी हरिद्वार जाउंगी ॥


सुंदर सलोनी सूरत पे,

दीवानी हो गई,

अब कैसे धारू धीर सखी,

सखी हरिद्वार जाउंगी,

मेरे उठे विरह में पीर,

सखी हरिद्वार जाउंगी ॥


इस दुनिया के रिश्ते नाते,

सब ही तोड़ दिए,

तुझे कैसे दिखाऊं दिल चिर,

सखी हरिद्वार जाउंगी,

मेरे उठे विरह में पीर,

सखी हरिद्वार जाउंगी ॥


नैन लड़े मेरे भोले से,

बावरी हो गई,

दुनिया से हो गई अंजानी,

सखी हरिद्वार जाउंगी,

मेरे उठे विरह में पीर,

सखी हरिद्वार जाउंगी ॥


अयोध्या सज रही सारी, अवध में राम आये है (Ayodhya Saj Rahi Saari, Awadh Me Ram Aaye Hai)

खुशी सबको मिली भारी,
अवध में राम आये है,

रंग पंचमी पर इन मंत्रों का करें जाप

रंग पंचमी चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है। यह पर्व होली के ठीक पाँच दिन बाद आता है और इसमें रंगों के माध्यम से देवी-देवताओं की आराधना की जाती है।

ध्यानु की तरह अम्बे, मेरा नाम अमर कर दो (Dhyanu Ki Tarah Ambe Mera Naam Amar Kardo)

ध्यानु की तरह अम्बे,
मेरा नाम अमर कर दो,

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