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म्हारा उज्जैन का महाराजा ने, खम्मा रे खम्मा(Mhara Ujjain Ka Maharaja Ne Khamma Re Khamma)

म्हारा उज्जैन का महाराजा ने,

खम्मा रे खम्मा,

भक्तां लाडीला महाकाल जी ने,

खम्मा रे खम्मा,

खम्मा रे खम्मा घणी रे खम्मा,

म्हारां उज्जैन का महाराजा ने,

खम्मा रे खम्मा ॥


ओ बाबा उज्जैन ने खम्मा,

मैया क्षिप्रा जी ने खम्मा,

बाबा राम घाट ने खम्मा,

म्हारां उज्जैन का महाराजा ने,

खम्मा रे खम्मा,

भक्तां लाडीला महाकाल जी ने,

खम्मा रे खम्मा ॥


मंगल नाथ जी ने खम्मा,

त्रिशूल हाथ जी ने खम्मा,

भैरव घाट जी ने खम्मा,

डम डम डमरू जी री ताल बोले,

खम्मा रे खम्मा,

म्हारां उज्जैन का महाराजा ने,

खम्मा रे खम्मा,

भक्तां लाडीला महाकाल जी ने,

खम्मा रे खम्मा ॥


भोले नाथ जी ने खम्मा,

मैया हरसिद्धि ने खम्मा,

बाबा भैरव जी ने खम्मा,

भक्ता आवे थारा द्वार करता,

खम्मा रे खम्मा,

म्हारा उज्जैन का महाराजा ने,

खम्मा रे खम्मा,

भक्तां लाडीला महाकाल जी ने,

खम्मा रे खम्मा ॥


भक्तो ने दर्शन दे दीजो,

मेरे भोलेनाथ जी,

भोलेनाथ मेरे शम्भुनाथ जी,

भोलेनाथ मेरे शम्भुनाथ जी,

भक्तो ने दर्शन दे दीजो,

मेरे भोलेनाथ जी ॥


दर्शन करने दूर से आयो,

आस दरश की मन में लायो,

दर्शन भीख मने दे दीजो,

मेरे भोलेनाथ जी ॥


महाकाल मेरे दुःख हर लीजो,

प्रभु आज खड़ा हूँ द्वार तेरे,

प्रभु आज खड़ा हूँ द्वार तेरे ॥

श्रावण शुक्ल की पुत्रदा एकादशी (Shraavan Shukl Kee Putrada Ekaadashee)

युधिष्ठिर ने कहा-हे केशव ! श्रावण मास के शुक्लपक्ष की एकादशी का क्या नाम और क्या माहात्म्य है कृपया आर कहिये श्री कृष्णचन्द्र जी ने कहा-हे राजन् ! ध्यान पूर्वक इसकी भी कथा सुनो।

मेरे बाबा तुझे किसने सजाया, दिल गया हार सांवरे (Mere Baba Tujhe Kisne Sajaya Dil Gaya Haar Sanware)

मेरे बाबा तुझे किसने सजाया,
दिल गया हार सांवरे,

श्री शनिवार व्रत कथा

एक समय समस्त प्राणियों का हित चाहने वाले मुनियों ने नैमिषारण्य बन में एक सभा की उस समय व्यास जी के शिष्य सूत जी शिष्यों के साथ श्रीहरि का स्मरण करते हुए वहाँ पर आये।

दुर्गा कवच पाठ

माता ललिता को दस महाविद्याओं की तीसरी महाविद्या माना जाता है। कहते हैं कि इस दिन देवी की आराधना करने से सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है और सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।

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