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ल्याया थारी चुनड़ी, करियो माँ स्वीकार(Lyaya Thari Chunri Karlyo Maa Swikar)

ल्याया थारी चुनड़ी,

करियो माँ स्वीकार,

इमें साँचा साँचा हीरा,

इमें साँचा साँचा हीरा,

और मोत्यां की भरमार,

ल्याया थारी चुनरी,

करियो माँ स्वीकार ॥


चुनरी को रंग लाल चटक है,

तारा भी चिपकाया माँ,

बढ़िया पोत मंगाया जामे,

गोटो भी लगवाया माँ,

थे तो ओढ़ दिखाओ मैया,

थारो मानूंगा उपकार,

ल्याया थारी चुनरी,

करियो माँ स्वीकार ॥


बस इतनी सी कृपा कर द्यो,

सेवा में लग जावा माँ,

म्हाने तो इ लायक कर द्यो,

चुनरी रोज चढ़ावा माँ,

बस टाबरिया पर बरसे,

माँ हरदम थारो प्यार,

ल्याया थारी चुनरी,

करियो माँ स्वीकार ॥


एक हाथ से भक्ति दीजो,

एक हाथ से शक्ति माँ,

एक हाथ से धन दौलत और,

एक हाथ से मुक्ति माँ,

थे तो हर हाथा से दीजो,

माँ थारा हाथ हज़ार,

ल्याया थारी चुनरी,

करियो माँ स्वीकार ॥


गर थे थारो बेटो समझो,

सेवा बताती रहिजो माँ,

‘बनवारी’ गर लायक समझो,

काम उडाती रहिजो माँ,

थारो ‘अमरचंद’ बैठ्यो है,

थारी सेवा में तैयार,

ल्याया थारी चुनरी,

करियो माँ स्वीकार ॥


ल्याया थारी चुनड़ी,

करियो माँ स्वीकार,

इमें साँचा साँचा हीरा,

इमें साँचा साँचा हीरा,

और मोत्यां की भरमार,

ल्याया थारी चुनरी,

करियो माँ स्वीकार ॥

गणाधिप संकष्टी चतुर्थी, पूजा विधि

हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, चतुर्थी तिथि भगवान गणेश की तिथि है और इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से ज्ञान, बुद्धि और समृद्धि प्राप्त होती है। इस दिन भगवान गणेश की कृपा पाने के लिए व्रत भी रखा जाता है।

प्रदोष व्रत की कथा

हर माह के शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। पंचांग के मुताबिक साल 2025 का पहला प्रदोष व्रत 11 जनवरी को रखा जाएगा, इस दिन शनिवार होने के कारण यह शनि प्रदोष भी कहलाएगा।

वृश्चिक संक्रांति की पूजा विधि

संक्रांति मतलब सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करना और इसका वृश्चिक राशि में प्रवेश वृश्चिक संक्रांति कहलाता है। यह दिन सूर्य देव की विशेष पूजा और दान करने के लिए शुभ है और व्यक्ति के भाग्योदय में होता है।

श्री गणपत्यथर्वशीर्षम् स्तोत्रम्

ॐ भद्रं कर्णेभिः शृणुयामदेवाः भद्रं पश्येमाक्षभिर्यजत्राः।
स्थिरैरङ्गैस्तुष्टुवाꣳ सस्तनूभिःव्यशेम देवहितं यदायुः॥

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