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ल्याया थारी चुनड़ी, करियो माँ स्वीकार(Lyaya Thari Chunri Karlyo Maa Swikar)

ल्याया थारी चुनड़ी,

करियो माँ स्वीकार,

इमें साँचा साँचा हीरा,

इमें साँचा साँचा हीरा,

और मोत्यां की भरमार,

ल्याया थारी चुनरी,

करियो माँ स्वीकार ॥


चुनरी को रंग लाल चटक है,

तारा भी चिपकाया माँ,

बढ़िया पोत मंगाया जामे,

गोटो भी लगवाया माँ,

थे तो ओढ़ दिखाओ मैया,

थारो मानूंगा उपकार,

ल्याया थारी चुनरी,

करियो माँ स्वीकार ॥


बस इतनी सी कृपा कर द्यो,

सेवा में लग जावा माँ,

म्हाने तो इ लायक कर द्यो,

चुनरी रोज चढ़ावा माँ,

बस टाबरिया पर बरसे,

माँ हरदम थारो प्यार,

ल्याया थारी चुनरी,

करियो माँ स्वीकार ॥


एक हाथ से भक्ति दीजो,

एक हाथ से शक्ति माँ,

एक हाथ से धन दौलत और,

एक हाथ से मुक्ति माँ,

थे तो हर हाथा से दीजो,

माँ थारा हाथ हज़ार,

ल्याया थारी चुनरी,

करियो माँ स्वीकार ॥


गर थे थारो बेटो समझो,

सेवा बताती रहिजो माँ,

‘बनवारी’ गर लायक समझो,

काम उडाती रहिजो माँ,

थारो ‘अमरचंद’ बैठ्यो है,

थारी सेवा में तैयार,

ल्याया थारी चुनरी,

करियो माँ स्वीकार ॥


ल्याया थारी चुनड़ी,

करियो माँ स्वीकार,

इमें साँचा साँचा हीरा,

इमें साँचा साँचा हीरा,

और मोत्यां की भरमार,

ल्याया थारी चुनरी,

करियो माँ स्वीकार ॥

भगवान शिव का बेलपत्र, धतूरा और भांग से संंबंध

भगवान शिव को देवा का देव कहा जाता है। शिवरात्रि उनका एक प्रमुख त्योहार है। 26 फरवरी को इस बार शिवरात्रि मनाई जाएगी। इस दिन शिवलिंग पर जल के साथ बेलपत्र, धतूरा और भांग चढ़ाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है।

सत्यनारायण व्रत की महत्वपूर्ण बातें

सनातन धर्म में भगवान सत्यनारायण की पूजा का विशेष महत्व है, जो विशेष दिनों में और नियम से करने की सलाह दी जाती है। यह पूजा भगवान सत्यनारायण को समर्पित होती है।

वो लाल लंगोटे वाला, माता अंजनी का लाला (Vo Lal Langote Wala Mata Anjani Ka Lala)

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माता अंजनी का लाला,

ब्रह्मन्! स्वराष्ट्र में हों, द्विज ब्रह्म तेजधारी (Brahman Swarastra Mein Hon)

वैदिक काल से राष्ट्र या देश के लिए गाई जाने वाली राष्ट्रोत्थान प्रार्थना है। इस काव्य को वैदिक राष्ट्रगान भी कहा जा सकता है। आज भी यह प्रार्थना भारत के विभिन्न गुरुकुलों व स्कूल मे गाई जाती है।

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