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गोविंद चले चरावन धेनु गृह गृह तें लरिका सब टेरे
गोविंद चले आओ, गोपाल चले आओ,
गौरा जी को भोले का, योगी रूप सुहाया है,
हे माँ मुझको ऐसा घर दे, जिसमे तुम्हारा मंदिर हो, ज्योत जगे दिन रैन तुम्हारी, तुम मंदिर के अन्दर हो।
हे जग त्राता विश्व विधाता, हे सुख शांति निकेतन हे।
हे जग स्वामी, अंतर्यामी, तेरे सन्मुख आता हूँ ।
कर्ता करे ना कर सके, शिव करे सो होय,
हे हंसवाहिनी ज्ञान दायिनी अम्ब विमल मति दे
हमारा प्यारा हिंदुद्वीप, हम हैं इसके प्रहरी और प्रदीप, अब उठो जगो हे आर्यवीर! उत्ताल प्रचंड समरसिन्धु समीप,
इस धरती पर जन्म लिया था दसरथ नंन्दन राम ने, इस धरती पर गीता गायी यदुकुल-भूषण श्याम ने ।