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घनश्याम तुम्हारे मंदिर में (Ghanshyam Tumhare Mandir Mein)

घनश्याम तुम्हारे मंदिर में,

मैं तुम्हे रिझाने आई हूँ,

वाणी में तनिक मिठास नहीं,

पर विनय सुनाने आई हूँ ॥


मैं देखूं अपने कर्मो को,

फिर दया को तेरी करूणा को,

ठुकराई हुई मैं दुनिया से,

तेरा दर खटकाने आई हूँ,

घनश्याम तुम्हारें मंदिर में,

मैं तुम्हे रिझाने आई हूँ ॥


प्रभु का चरणामृत लेने को,

है पास मेरे कोई पात्र नहीं,

आँखों के दोनों प्यालों में,

मैं भीख मांगने आई हूँ,

घनश्याम तुम्हारें मंदिर में,

मैं तुम्हे रिझाने आई हूँ ॥


तेरी आस है श्याम निवाणीअणु,

तेरी शान है बिगड़ी बना देना,

तुम स्वामी हो मैं दासी हूँ,

संबंध बढ़ाने आई हूँ,

घनश्याम तुम्हारें मंदिर में,

मैं तुम्हे रिझाने आई हूँ ॥


समझी थी मैं जिन्हें अपना,

सब हो गए आज बेगाने है,

सारी दुनिया को तज के प्रभु,

तुझे अपना बनाने आई हूँ,

घनश्याम तुम्हारें मंदिर में,

मैं तुम्हे रिझाने आई हूँ ॥


घनश्याम तुम्हारे मंदिर में,

मैं तुम्हे रिझाने आई हूँ,

वाणी में तनिक मिठास नहीं,

पर विनय सुनाने आई हूँ ॥

आजा कलयुग में लेके, अवतार ओ भोले (Aaja Kalyug Me Leke, Avtar O Bhole)

अवतार ओ भोले,
अपने भक्तो की सुनले,

अम्बे अम्बे भवानी माँ जगदम्बे: भजन (Ambe Ambe Bhavani Maa Jagdambe)

अम्बे अम्बे माँ अम्बे अम्बे,
अम्बे अम्बे भवानी माँ जगदम्बे ॥

दिवाली पूजन कथा

सनातन धर्म में दिवाली का पर्व विशेष महत्व रखता है। यह पर्व हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है।

हे गणनायक सब सुखदायक, करो विघ्न सब दूर (Hey Gannayak Sab Sukh Dayak Karo Vigan Sab Dur)

हे गणनायक सब सुखदायक,
करो विघ्न सब दूर,

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