नवीनतम लेख
चित्रकूट के घाट घाट पर, शबरी देखे बाट,
छोटो सो बंदर हद करिग्यो सावामणि का लड्डू सारा चट करिगयो ॥
छोटी सी मेरी पार्वती, शंकर की पूजा करती थी,
छोटी सी किशोरी, मोरे अंगना मे डोले रे छोटी सी किशोरी, मोरे अंगना मे डोले रे
छठी माई के घटिया पे, आजन बाजन,
बन परदेशिया जे गइल शहर तू बिसरा के लोग आपन गांव के घर तू
कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाय
चौसठ जोगणी रे भवानी, देवलिये रमजाय,
चटक रंग में, मटक रंग में, धनीलाल रंग में, गोपाल रंग में ।
चटक मटक चटकीली चाल, और ये घुंघर वाला बाल,