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चौसठ जोगणी रे भवानी (Chausath Jogani Re Bhawani)

चौसठ जोगणी रे भवानी,

देवलिये रमजाय,

घूमर घालणि रे भवानी,

देवलिये रमजाय ॥


देवलिये रमजाय म्हारे,

आंगणिये रमजाय,


चौसठ जोगणी रे भवानी,

देवलिये रमजाय,

घूमर घालणि रे भवानी,

देवलिये रमजाय ॥


हंस सवारी कर मोरी मैया,

ब्रम्हा रूप बणायो,

ब्रम्हा रूप बणायो नवदुर्गा,

ब्रम्हा रूप बणायो,

चार वेद मुख चार बिराजे,

चारा रो जस गायो ॥


घूमर घालनी रे भवानी,

देवलिये रमजाय ॥


गरुड़ सवारी कर मेरी मैया,

विष्णु रूप बणायो,

विष्णु रूप बणायो नवदुर्गा,

विष्णु रूप बणायो,

गदा पदम संग चक्र बिराजे,

मधुबन रास रचायो ॥


घूमर घालनी रे भवानी,

देवलिये रमजाय ॥


नंदी सवारी कर मेरी मैया,

शक्ति रूप बणायो,

शक्ति रूप बणायो नवदुर्गा,

शक्ति रूप बणायो,

जटा मुकुट मै गंगा खळके,

शेष नाग लीपटायो ॥


घूमर घालनी रे भवानी,

देवलिये रमजाय ॥


सिंघ सवारी कर मेरी मैया,

शक्ति रूप बणायो,

शक्ति रूप बणायो नवदुर्गा,

शक्ति रूप बणायो,

सियाराम तेरी करे स्तुति,

भक्त मंडल जस गायो ॥


घूमर घालनी रे भवानी,

देवलिये रमजाय ॥


चौसठ जोगणी भवानी,

देवलिये रमजाय,

घूमर घालणि रे भवानी,

देवलिये रमजाय ॥

मूषक सवारी लेके, आना गणराजा (Mushak Sawari Leke Aana Ganraja)

मूषक सवारी लेके,
आना गणराजा,

कालाष्टमी की मंत्र जाप

कालाष्टमी पर्व भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव की शक्ति और महिमा का प्रतीक है। जब भगवान शिव के क्रोध से काल भैरव का जन्म होता है। काल भैरव समय के भी स्वामी हैं।

भानु सप्तमी पर सूर्यदेव की पूजा विधि

माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी पर सूर्यदेव की पूजा की जाती है। रथ सप्तमी को भानु सप्तमी और अचला सप्तमी भी कहा जाता है। भानु सप्तमी के दिन भगवान भास्कर की पूजा करने से आरोग्य का वरदान मिलता है।

मासिक दुर्गाष्टमी तिथि और शुभ-मुहूर्त

प्रत्येक महीने की अष्टमी तिथि को मासिक दुर्गाष्टमी मनाई जाती है। इस दिन देवी दुर्गा की पूजा अर्चना की जाती है। धार्मिक मत है कि जगत की देवी मां दुर्गा के चरण और शरण में रहने से साधक को सभी प्रकार के सुखों मिलते हैं।

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