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मस्त महीना फागण का, खुशियों का आलम छाया,
माता रानी कीजिये, किरपा की बरसात,
तेरे चरणों में शीश मैं झुकाऊं, तेरे ही गुण गाऊं,
माता महादेवी है नाम, विराजी दशरमन में,
म्हारी हुंडी स्वीकारो महाराज रे, सांवरा गिरधारी,
श्रद्धा रखो जगत के लोगो, अपने दीनानाथ में ।
मरना है तो एक बार मरो, फिर चौरासी में पड़ना क्या,
म्हारा घट मा बिराजता, श्रीनाथजी यमुनाजी महाप्रभुजी,
ऊ जे केरवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए।
मानो तो मैं गंगा माँ हूँ, ना मानो तो बहता पानी,