नवीनतम लेख

अनंग त्रयोदशी व्रत कथा

अनंग त्रयोदशी 2024 व्रत कथा: अनंग त्रयोदशी पर करें इस कथा का पाठ, महादेव होंगे प्रसन्न


चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को अनंग त्रयोदशी कहा जाता है। अनंग त्रयोदशी व्रत प्रेम और सौंदर्य का प्रतीक माना जाता है। इस दिन कामदेव और रति की पूजा का विशेष महत्व है। कामदेव को अनंग भी कहा जाता है क्योंकि शिवजी ने उन्हें भस्म कर दिया था, जिसके बाद वे शरीर हीन हो गए। इस दिन पूजा-अर्चना करने से प्रेम संबंधों में मधुरता आती है और भगवान शिव व माता पार्वती की कृपा प्राप्त होती है। तो आइए इस लेख में विस्तार से इस दिन के महत्व और इस दिन पढ़ी जाने वाली कथा के बारे में जानते हैं।  


अनंग त्रयोदशी के उद्गम की पौराणिक कथा


त्रेता युग में तारकासुर नामक राक्षस ने अपने आतंक से देवताओं को परेशान कर रखा था। उसे यह वरदान प्राप्त था कि उसकी मृत्यु केवल भगवान शिव के पुत्र के हाथों ही हो सकती है। लेकिन भगवान शिव उस समय गहन तपस्या में लीन थे।

देवताओं ने कामदेव से प्रार्थना की कि वे भगवान शिव की तपस्या भंग करें। कामदेव ने देवताओं का आग्रह स्वीकार किया और शिवजी की तपस्या भंग कर दी। हालांकि, इससे भगवान शिव अत्यंत क्रोधित हो गए और उन्होंने अपनी तीसरी आंख खोलकर कामदेव को भस्म कर दिया।

कामदेव की पत्नी रति अपने पति की मृत्यु से व्याकुल हो गईं और भगवान शिव से अपने पति को पुनर्जीवित करने की प्रार्थना की। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने कामदेव को पुनर्जीवित किया, लेकिन वे बिना शरीर के ही जीवित रहे।


शिवजी ने कामदेव को वरदान दिया कि वे द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र के रूप में जन्म लेंगे और उनका विवाह रति से ही होगा। जब तक उनका पुनर्जन्म ना हो वे शरीर हीन यानी अनंग रूप में ही रहेंगे। यही कारण है कि कामदेव को अनंग भी कहा जाता है। इस घटना के बाद से चैत्र शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को अनंग त्रयोदशी के रूप में मनाया जाने लगा।


अनंग त्रयोदशी की महत्ता


अनंग त्रयोदशी पर कामदेव और उनकी पत्नी रति की पूजा की जाती है। कामदेव को आकर्षण और प्रेम का प्रतीक माना जाता है। उनकी उपासना से व्यक्ति का व्यक्तित्व प्रभावशाली बनता है और दांपत्य जीवन में सुख-शांति बनी रहती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन की पूजा से भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष कृपा प्राप्त होती है।


अनंग त्रयोदशी व्रत का महत्व


1. कामदेव और रति की पूजा: इस दिन की पूजा से प्रेम संबंधों में मजबूती आती है।

2. शिव और पार्वती की कृपा: व्रत करने वालों को भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

3. आकर्षक व्यक्तित्व: कामदेव की पूजा से व्यक्ति का व्यक्तित्व आकर्षक और प्रभावशाली बनता है।


अनंग त्रयोदशी व्रत पूजा विधि


1. सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

2. पूजा स्थल को साफ करके वहां शिवलिंग स्थापित करें।

3. भगवान शिव, माता पार्वती, कामदेव और रति की प्रतिमाओं का जल, दूध और गंगाजल से अभिषेक करें।

4. बेलपत्र, धतूरा, फूल और फल अर्पित करें।

5. कामदेव और रति की कथा का पाठ करें।

6. दिनभर व्रत रखें और शिव-पार्वती की आरती करें।

7. रात को भगवान शिव और कामदेव की विशेष प्रार्थना करें।


प्रेम को बढ़ाता है ये व्रत 


इस व्रत की पूजा भगवान शिव और कामदेव की कृपा पाने के लिए की जाती है। पौराणिक कथा के अनुसार, यह दिन कामदेव के शरीर हीन रूप (अनंग) का प्रतीक है। इस दिन व्रत करने और कथा का पाठ करने से जीवन में सुख, शांति और प्रेम का संचार होता है।


ही आशा लेकर आती हूँ ( Yahi Aasha Lekar Aati Hu)

यही आशा लेकर आती हूँ,
हर बार तुम्हारे मंदिर में,

बालाजी के चरणों में ये काम कर दिया (Balaji Ke Charno Mein Ye Kaam Kar Diya)

बालाजी के चरणों में ये काम कर दिया,
एक दिल था वो भी इनके नाम कर दिया ॥

हनुमान ने कर दिया काम, चुटकी बजाई करके (Hanuman Ne Kar Diya Kaam Chutki Bajay Karke)

सारे हार गए जोर लगाई करके,
हनुमान ने कर दिया काम,

मासिक कार्तिगाई पूजा विधि

सनातन हिंदू धर्म में, कार्तिगाई का विशेष महत्व है। यह पर्व दक्षिण भारत में अधिक प्रचलित है। इस दिन लोग अपने घरों और आस-पास दीपक जलाते हैं।